वैज्ञानिकों ने उस अणु की संरचना की गुत्थी सुलझा ली है जिसका इस्तेमाल नया कोरोना वायरस (CoronaVirus Covid-19) मेजबान कोशिका की तरह अपना आनुवंशिक अनुक्रम तैयार करने में करता है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस नयी जानकारी से कोविड-19 के खिलाफ विषाणु रोधी दवा बनाने में मदद मिल सकती है. यह अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय मूल के वैज्ञानिक भी शामिल हैं.
नेचर कम्युनिकेशंस नाम के जर्नल में छपे इसे अध्ययन के मुताबिक, अणु एनएसपी10 मेजबान कोशिका के एमआरएनए की नकल करने के लिये विषाणुजनित एमआरएनए (जो प्रोटीन के उत्पादन के लिये ब्लूप्रिंट हैं) में बदलाव करता है.
अमेरिका के सैन एंटोनियो (यूटी हेल्थ सैन एंटोनियो) में द यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह बदलाव एनएसपी10 विषाणु को मेजबान कोशिका की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बचाता है.
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यूटी हेल्थ सेन एंटोनियो से अध्ययन के सह-लेखक योगेश गुप्ता ने कहा, 'यह एक छद्मावरण है. कोशिकाओं को भ्रमित करने वाले इन बदलावों की वजह से विषाणुजनित संदेशवाहक आरएनए अब इसे कोशिका के अपने कूट का हिस्सा समझता है, बाहरी नहीं.'
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक एनएसपी16 की थ्रीडी संरचना को समझने से नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 और अन्य उभर रहे कोरोना वायरस संक्रमणों के खिलाफ नयी औषधि को तैयार करने का रास्ता खुल सकता है.
गुप्ता ने कहा कि यह दवाएं इस तरह तैयार की जा सकती हैं जो एनएसपी16 को बदलाव करने से रोकें जिससे मेजबान कोशिका का प्रतिरोधी तंत्र बाहरी विषाणु की पहचान कर उनपर टूट पड़े.
अध्ययन के सह लेखक रॉबर्ट ह्रोमस ने कहा, 'योगेश के काम ने कोविड-19 के एक अहम एंजाइम की थ्रीडी संरचना की खोज की है जो उसकी प्रतिकृति के लिये जरूरी है और उसमें एक ऐसी जगह भी खोजी है जिसे निशाना बनाकर इस एंजाइम को रोका जा सकता है. यह विषाणु को समझने की दिशा में एक मौलिक प्रगति है.'
निष्कर्षों के आधार पर शोधकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 एनएसपी10 अणु के संरचनात्मक केंद्रों का सुझाव दिया है जिन्हें लक्षित कर उनके मुताबिक विषाणुरोधी दवा विकसित की जा सकती है.