रसोई में मौजूद है खांसी का पक्का इलाज, इन घरेलू नुस्खों से हो जाएंगे ठीक
कोरोना वायरस के मौजूदा संकट को देखते हुए हल्की खांसी और गले में खराश होते ही लोग काफी घबरा जाते हैं. हालांकि, बदलते मौसम को देखते हुए खांसी और गले की खराश को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है.
highlights
- बदलते मौसम में सर्दी-खांसी होना सामान्य
- खांसी होने पर ही घरेलू उपचार से हो सकते हैं ठीक
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस के मौजूदा संकट को देखते हुए हल्की खांसी और गले में खराश होते ही लोग काफी घबरा जाते हैं. हालांकि, बदलते मौसम को देखते हुए खांसी और गले की खराश को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. मौसम में बदलाव और ठंडा-गर्म खानपान के कारण सामान्यतः सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी समस्या हो सकती है. इसके लिए अस्पताल जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसकी दवा आपकी रसोई में ही मौजूद है. बस, जरूरत है उसे जानने और समझने की. आयुर्वेद के इसी ज्ञान से अपने साथ-साथ परिवार और रिश्तेदारों को भी सुरक्षित रखा जा सकता है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की आयुष इकाई के महाप्रबंधक डॉ. रामजी वर्मा का कहना है कि सूखी खांसी व गले में खराश को दूर करने में आयुष का घरेलू उपचार बहुत ही कारगर है.
इस उपचार के लिए ताजे पुदीने के पत्ते और काला जीरा को पानी में उबालकर दिन में एक बार भाप लेने से इस तरह की समस्या से राहत मिल सकती है.
लौंग के पाउडर को मिश्री-शहद के साथ मिलाकर दिन में दो से तीन बार सेवन करने से इस तरह की समस्या दूर हो सकती है.
डॉ. वर्मा का कहना है कि अगर इसके बाद भी परेशानी ठीक नहीं होती है, तब चिकित्सक की सलाह लें.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के एक से एक नुस्खे आयुर्वेद में मौजूद हैं, जिसको आजमाकर हम कोरोना ही नहीं अन्य संक्रामक बीमारियों को भी अपने से दूर कर सकते हैं . इसके अलावा इन नुस्खों के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं.
डॉ. वर्मा ने बताया कि भोजन में हल्दी, धनिया, जीरा और लहसुन का इस्तेमाल भी इसमें बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है.
इसके अलावा दूध में हल्दी मिलाकर पीना, गुनगुना पानी और हर्बल चाय का काढ़ा पीकर भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं.
इसके साथ ही योगा, ध्यान और प्राणायाम का भी सहारा लिया जा सकता है. बदली परिस्थितियों में आप यही छोटे-छोटे नुस्खे आजमाकर स्वस्थ रह सकते हैं, क्योंकि अभी अस्पताल और चिकित्सक कोरोना के मरीजों की जांच और देखरेख में व्यस्त हैं. इसलिए अस्पतालों में अनावश्यक दबाव बढ़ाने से बचें और सुरक्षित रहें.
आईएएनएस इनपुट्स के साथ
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