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हीटवेव से झुलस गया Europe, ब्रिटैन में पारा पंहुचा 40 डिग्री के पार, जारी हुई चेतावनी

रिपोर्ट्स की माने तो संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने वाले देशों को इस हीट वेव को एक रेड अलर्ट के रूप में लेना चाहिए.

Updated on: 20 Jul 2022, 08:04 AM

New Delhi:

मानसून का सीजन आ गया है लेकिन अभी भी कई राज्यों में गर्मी जाने का नाम नहीं ले रही है. मीडिया रपोर्टस के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा कि पश्चिमी यूरोप में भीषण गर्मी की हीटवेव लगातार बढ़ती जा रही हैं और यह प्रवृत्ति कम से कम 2060 के दशक तक जारी रहने की आशंका जताई है. रिपोर्ट्स की माने तो संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने वाले देशों को इस हीट वेव को एक रेड अलर्ट के रूप में लेना चाहिए. 

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यही नहीं रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया कि भविष्य में इससे भी ज्यादा गर्मी बढ़ते हम देख सकते हैं. जानकारों की माने तो पेटेरी तालस ने कहा कि हानिकारक गैसों का असर बढ़ रहा है.  अगर हम इस उत्सर्जन वृद्धि को रोकने में सक्षम नहीं हुए, खासकर बड़े एशियाई देशों में जो सबसे ज्यादा खतरनाक गैस छोड़ते हैं वो 2060 के दशक में गर्मी को चरम पर पहुंचते देख सकते हैं. गौरतलब है कि WMO ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पश्चिमी यूरोप में भीषण लू के प्रकोप के बारे में जानकारी दी.

यूरोप की हीटवेव ने उत्तर की ओर बढ़ने से पहले जंगलों में भयंकर आग को हवा दी और पहली बार ब्रिटेन में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री फारेनहाइट) से अधिक हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डब्ल्यूएमओ के एप्लाइड क्लाइमेट सर्विसेज के प्रमुख रॉबर्ट स्टेफांस्की ने कहा कि ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि आज पूरे फ्रांस, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड में भी हीटवेव का चरम होगा. साथ ही एक सवाल हर कोई पूछता है कि ये हीट वेव कब खत्म होगी तो इसका जवाब है कभी नहीं. इसके कारण यूरोप में हर कोई गर्मी से झुलस गया है. 1 साला पहले इसी गर्मी से यूरोप में कई लोगों की मौत भी हो गई थी. 

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