गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र (जीबीआरसी) के निदेशक प्रोफेसर चैतन्य जी. जोशी ने कहा कि गुजरात में किया गया सार्स-कोव2 जीनोम में म्यूटेशन (परिवर्तन) का विश्लेषण पूरे देश के लिए वैक्सीन विकसित करने में मदद करेगा. गुजरात में अब तक कोविड-19 संक्रमण के कुल 17 हजार 200 मामले आए हैं, जिनमें से 01 हजार 63 मौतें दर्ज की गई है. महाराष्ट्र में हुई 2 हजार 362 मौतों के बाद देश का यह राज्य सर्वाधिक मौत के मामलों में दूसरे स्थान पर है. राज्य उच्च मृत्यु दर के साथ जूझ रहा है.
प्रारंभ में यह संदेह हुआ कि कोरोनावायरस का विषाणुजनित एल- स्ट्रेन उच्च कोविड-19 (Covid-19) मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार है, लेकिन इसे वैज्ञानिक रूप से स्थापित किया जाना अभी बाकी है.
और पढ़ें:डायबिटिज मरीजों के लिए काल बना कोरोना, 7 दिनों के अंदर 10 में से 1 कोविड-19 डायबिटिक मरीज की हो रही है मौत
जोशी ने कहा, 'हमें अब तक भेजे गए नमूनों में हमने चार एस-स्ट्रेन को देखा है और बाकी सभी एल-स्ट्रेन हैं. हमने अब तक लगभग 150 के पास नमूनों की जांच की है. इस स्तर पर, मौतों को एल-स्ट्रेन की विशेषता देना सही नहीं है. इस वायरल संक्रमण के कारण होने वाली मौतों में विभिन्न कारक शामिल हैं.'
उन्होंने आगे कहा, "वायरस म्यूटेटिंग है और यह पहले ही देश के कई हिस्सों में फैल चुका है. म्यूटेशन का विश्लेषण वैक्सीन विकसित करने में मदद करेगा. प्रीडोमिनेंट हुआ एक प्रकार का म्यूटेशन ए2ए मानव कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश की क्षमता को बढ़ाता है."
जोशी ने कहा कि विभिन्न विश्लेषण के माध्यम से जीबीआरसी ने एक मजबूत तंत्र विकसित किया है. इससे पूरे देश के लिए एक एकल कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने में मदद मिलेगी.
ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या अब 8420, अब तक 364 मौतें
गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में गुजरात में कोविड-19 संक्रमण के 421 नए मामले सामने आए हैं. वहीं, उपचार के बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ हुए 10 हजार 780 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.