असफलता पर इमोशनल होने से घबराएं नहीं, सुधारता है फैसला लेने की क्षमता
हाल ही में हुई एक शोध में पाया गया कि हार के बाद संज्ञात्मक होने की तुलना में इमोशनल होने वाले लोगों का रिजल्ट ज्यादा बेहतर होता है।
नई दिल्ली:
अगर आप बहुत इमोशनल हैं तो ये खबर आपके लिए है। हाल ही में हुई एक शोध में पाया गया कि हार के बाद संज्ञात्मक होने की तुलना में इमोशनल होने वाले लोगों का रिजल्ट ज्यादा बेहतर होता है।
केयू स्कूल ऑफ बिजनेस में विपणन और उपभोक्ता व्यवहार के सहायक प्रोफेसर नोएल नेल्सन ने कहा, ' भावनाओं बनाम विचारों में अपनी या कर्मचारियों की हार को देखने का नजरिया बदल जाता है। कई बार साहित्य विचारों और भावनाओं पर फोकस करता है लेकिन हमने मूल भावनात्मक बनाम संज्ञानात्मक प्रतिक्रिया पर फोकस किया है।'
शोधकर्ताओं ने तीन प्रयोग किये जिसमें स्नातक के छात्रों को टास्क करना था। एक में, छात्रों से ऑनलाइन सबसे सस्ता ब्लेंडर खोजने को कहा गया था जो उन्हें नकद ईनाम जीता सकता था। कंप्यूटर में पहले से सेटिंग की गी थी, इसलिए उसने सभी छात्रों को बताया कि सबसे कम कीमत 3.27 डॉलर थी। जबकि उनके नतीजे इससे अलग थे। ऐसे में वह इस टास्क में फेल हो गए।
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कुछ प्रतिभागियों को भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया परिणाम से क्या सीखा और दूसरों को उनकी संज्ञानात्मक प्रतिक्रिया, जैसे कारकों को तर्कसंगत बनाने के लिए सीखते हैं कि वे सफल क्यों नहीं हुए।
नेल्सन ने कहा,'मुझे लगता है कि लोगों को आश्चर्य होगा कि खुद को विफलता के बारे में बुरा महसूस करने के कारण कुछ मामलों में उस विफलता के बारे में सोचने के बजाय प्रदर्शन में सुधार हो सकता है।'
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