इंदौर में मिला देश का पहला ग्रीन फंगस का मरीज, एयरलिफ्ट कर भेजा मुंबई
एमपी के इंदौर में ग्रीन फंगस का एक मरीज मिलने से हड़कंप मचा है. अरविंदो अस्पताल में भर्ती 33 वर्षीय मरीज के फेफड़ों की जांच में इसका पता चलने पर उसे एयरलिफ्ट कर मुंबई के हिंदुजा अस्पताल भेजा गया है.
इंदौर:
ब्लैक फंगस, वाइट फंगस और यलो फंगस के बाद मध्य प्रदेश के इंदौर में अब ग्रीन फंगस का एक मरीज मिला है. ये देश में ऐसा पहला केस है. 33 वर्षीय मरीज के फेफड़ों की जांच में यह पहला मामला सामने आया है. रंग के आधार पर इसे ग्रीन फंगस नाम दिया गया है. उसके फेफड़े में 90 फीसदी संक्रमण हो चुका है. दो माह तक चले इलाज के बाद मरीज की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई थी. 10 दिन बाद मरीज की हालत फिर से बिगड़ने लगी. उसके दाएं फेफड़े में मवाद भर गया था. फेफड़े और साइनस में एसपरजिलस फंगस हो गया था जिसे ग्रीन फंगस कहा जा रहा है. जांच में पुष्टि होने के बाद मरीज को एयरलिफ्ट कर मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में शिफ्ट किया गया है.
ब्लैक से ज़्यादा खतरनाक है ग्रीन फंगस
विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रीन फंगस ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक है. इसकी वजह से मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी. मरीज के मल में खून आने लगा था. बुखार भी 103 डिग्री बना हुआ था. ग्रीन फंगस पर एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन भी असर नहीं करता है.
फेफड़ों में 90 फीसदी संक्रमण
मरीज की गिरती हालत के बाद डॉक्टरों की सलाह पर उसे निजी अस्पताल से एयरलिफ्ट कर मुंबई भेज दिया गया है. उससे पहले इंदौर और मुंबई के डॉक्टरों के बीच चर्चा हुई थी. परामर्श के बाद मरीज को शिफ्ट किया गया है. बहरहाल पहला केस होने के कारण शुरुआती चरण में चिकित्सकों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. 33 वर्षीय मरीज के कोरोना संक्रमित होने के बाद पोस्ट कोविड के लक्षण मिले थे. डेढ़ महीने पहले जब उसे पहली बार अरविंदो अस्पताल में भर्ती किया गया था, तब उसके दाएं फेफड़े में मवाद था. डॉक्टरों ने मवाद को निकाल दिया, लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ. उसका बुखार 103 डिग्री से कम नहीं हो रहा था. मंगलवार को उसे चार्टर्ड प्लेन से मुंबई भेजा गया.
क्या है ग्रीन फंगस?
यह संभवत: 'ग्रीन फंगस' का पहला मामला है, इसलिए डॉक्टर यह देखने के लिए शोध कर रहे हैं कि क्या यह स्वस्थ हुए कोरोना रोगियों में फंगस पाया जा रहा है. वैज्ञानिक नाम एस्परगिलोसिस कहा जा रहा है. इस फंगस के लक्षणों में नाक से खून आना और तेज बुखार शामिल है. जो संभवत कोरोना से उबरने के बाद मरीज के अंदर देखा गया. इंदौर के श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SAIMS) अस्पताल में मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टर रवि डोसी ने भी बताया कि वजन कम होने के कारण मरीज काफी कमजोर हो गया था. गौरतलब है कि ग्रीन फंगस से पहले देश में येलो फंगस, ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस भी मिल चुके हैं. ब्लैक फंगस को कई राज्य सरकारों ने महामारी भी घोषित कर दिया है.
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