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Corona संक्रमण देने वाले चीन ने फिर डराया, नए अध्ययन से छूट रहा पसीना

एक चीनी अध्ययन में सामने आया है कि कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण से उबरने के बावजूद थकान और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण कई मरीजों में साल

Updated on: 27 Aug 2021, 11:31 AM

highlights

  • वुहान में हुआ कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों पर अध्ययन
  • साल भर तक रह सकती है थकान और सांस लेने में दिक्कत
  • पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में हो रही है ज्यादा परेशानी

नई दिल्ली:

दुनिया को कोरोना संक्रमण (Corona Epidemic) देने वाले चीन ने एक बार फिर समग्र विश्व की पेशानी पर बल ला दिए हैं. एक चीनी अध्ययन में सामने आया है कि कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण से उबरने के बावजूद थकान और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण कई मरीजों में साल भर तक बने रह सकते हैं. द लांसेट (Lancet) में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक कोरोना संक्रमण से ग्रस्त मरीजों में से आधे अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी एक नकारात्मक प्रभाव से जूझते रहे. इनमें थकान या मांसपेशियों की कमजोरी जैसे लक्षण शामिल थे. लांसेट के मुताबिक संक्रमित हुए कुछ मरीज ठीक होने के बावजूद साल भर तक इन प्रभावों से मुक्त नहीं हो सकते.  

साल भर तक रह सकते हैं परेशान
इस अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं ने पाया कि तीन में से एक मामले में कोविड-19 संक्रमण से ठीक हुए मरीज साल भर तक सांस लेने में तकलीफ की शिकायत करते देखे गए. यही नहीं, कोरोना के गंभीर संक्रमण से ठीक हुए लोगों में इसके साथ-साथ और भी नकारात्मक प्रभाव साल भर तक देखे गए. इस अध्ययन से पता चलता है कि कोविड-19 के संक्रमण से पूरी तरह मुक्त होने में लोगों को साल भर तक का समय लग गया. इसके बाद ही वे सामान्य जिंदगी जीने लायक हो सके. अध्ययन के मुताबिक इसकी एक बड़ी वजह यही है कि कोरोना संक्रमण को लेकर अभी तक कोई कारगर उपाय सामने नहीं आया है. इसके अलावा ठीक हुए मरीजों को सामान्य जिंदजगी जीने लायक बनाने के लिए कोई रिहाब कार्यक्रम भी नहीं है.

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वुहान में किया गया अध्ययन
अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 संक्रमण से उबरे लोगों में सांस संबंधी दिक्कत छह महीने बाद 26 फीसदी लोगों में देखी गई, जबकि साल भर बाद यह शिकायत करने वालों का आंकड़ा 30 फीसदी तक जा पहुंचा. यह भी पता चला कि थकान या मांसपेशियों की शिथिलता की शिकायत करने वालों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का प्रतिशत 43 फीसदी अधिक रहा. यह अध्ययन वुहान में जनवरी और मई 2020 के बीच किया गया. इसमें 1300 कोविड-19 मरीजों को शामिल किया गया. इसके साथ ही लांसेट ने आगाह किया है कि स्वास्थ्य कर्मियों को लेकर इस बाबत सावधानी बरतने की जरूरत ज्यादा है.