गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान करवा चौथ, तीज, शिवरात्रि और नवरात्रि जैसे त्योहारों का पड़ना लाजिमी है। ऐसे में जब सामान्य तौर पर अधिकांश महिलाएं व्रत रखती हैं तो क्या गर्भवती महिलाएं भी उपवास रख सकती हैं? यह बड़ा सवाल है। चिकित्सकों का कहना है कि व्रत के दौरान अच्छा-बुरा प्रभाव केवल मां पर ही नहीं, बल्कि होने वाली संतान पर भी पड़ सकता है, इसलिए सावधानी बहुत जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान व्रत रखना बहुत हद तक आपके शरीर पर निर्भर करता है, क्योंकि जब आप अंदर से अच्छा महसूस कर रही हैं, तब उपवास रखने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन कुछ मामलों जैसे शरीर में खून की कमी, कमजोरी, उच्च रक्तचाप या फिर गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) में चिकित्सक गर्भवती महिला को उपवास रखने की सलाह नहीं देते हैं, क्योंकि इससे न केवल आपको बल्कि आपके गर्भ में पल रहे शिशु को भी नुकसान हो सकता है।
कोलकाता के आनंदपुर स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में परामर्शी प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. विकास बनर्जी ने फोन पर बताया,'गर्भावस्था में पहली और तीसरी तिमाही में व्रत की सलाह नहीं दी जाती। पहले तीन महीनों में अगर लंबे समय तक भूखा रहा जाए, तो जी मिचलाना और उल्टी की समस्या हो सकती है। तीसरी तिमाही में ऐसा करने से चक्कर का खतरा रहता है। गर्भावस्था में होने वाला मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) खून की कमी (एनीमिया) या गर्भ में एक से अधिक बच्चा हो तो व्रत-उपवास करना खतरनाक भी हो सकता है।'
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अगर सबकुछ सामान्य है और आप व्रत रख रही हैं, तो भी ये सावधानियां बरतनी चाहिए :
* निर्जला उपवास नहीं रखना चाहिए। ऐसे में पानी मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी है। अगर फिर भी ऐसा करती हैं तो इस बात पर हमेशा ध्यान रखिए कि कहीं डिहाइड्रेशन के लक्षण तो नहीं बन रहे हैं। निर्जला उपवास रखने पर नारियल पानी, दूध व जूस जैसे पेय पदार्थ लें। फल, सब्जी, जूस से शरीर में पानी की जरूरत भी पूरी होती है और पोषक तत्व भी मिल जाते हैं।
* उपवास में कॉफी या चाय का सेवन न करें या फिर कम से कम करें।
* अगर मौसम काफी गर्म या उमस भरा हो तो घर के अंदर ही रहें।
* उपवास के दौरान व्यायाम या कोई भारी काम मत करें।
* व्रत तोड़ने के दौरान शुरू में एक ग्लास जूस या नारियल पानी पीएं। इसके बाद कुछ हल्का खाना खाएं।
* व्रत के दौरान गर्भ में भ्रूण की हलचल पर नजर रखें और समय-समय पर चिकित्सीय जांच कराती रहें।
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Source : IANS