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गुस्सा आने पर जमकर दीजिए गाली, बढ़ाएगी आपकी सहनशक्ति और मजबूती

अगर आपको गुस्से में गाली देने की आदत है, तो परेशान ना हो। ये आदत आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छी है।

Updated on: 06 May 2017, 12:16 PM

नई दिल्ली:

अगर आपको गुस्से में गाली देने की आदत है, तो परेशान ना हो। ये आदत आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छी है। इसलिए गुस्सा आने पर दिल खोल कर चिल्ला चिल्ला कर गाली दीजिये और तब तक गाली दीजिये जब तक आप संतुष्ट ना हो जाए।

एक शोध के अनुसार गुस्से में गाली देने के कारण सहनशीलता और ताकत दोनों बढ़ती है। ऐसा करने से आपका तनाव कम हो जाएगा। आपकी निराशा में कमी आएगी। इस पर शोधकर्ताओं ने दो प्रयोग किए है। पहले में 29 प्रतिभागियों पर एनारोबिक पावर टेस्ट किया गया। वहीं दूसरे 52 प्रतिभागियों पर आइसमैट्रिक हैंडग्रिप टेस्ट को किया गया।

शोधकर्ताओं ने पहले समूह को अपना हाथ बर्फीले पानी में रखने को कहा। खून जमा देने वाले इस पानी में हाथ डालने के बाद उन्हें गालियाँ देने को कहा गया। वहीं दूसरे समूह को उतने ही ठंडे पानी में हाथ रखने को कहा गया पर, इस बार हिदायत दी गई कि गालियाँ न दें, बल्कि उसकी जगह कुछ और बोलें। शोध में पाया गया कि गालियाँ बोलते समय लोगों को दर्द कम महसूस हुआ।

शोधकर्ताओं ने पाया कि दोनों प्रयोग के बाद प्रतिभागियों में ज्यादा ताकत और हाथों की मजबूती बढ़ी। इस शोध को करने वाले कीले यूनिवर्सिटी के रिचर्ड स्टीफेंस के मुताबिक' गालियाँ आपका भावनात्मक साथ देती हैं और अंदर के गुबार को निकाल कर आप में सहने की क्षमता बढ़ाती हैं।'

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हालांकि प्रयोग के दौरान लोग लक्ष्यहीन गालियां दे रहे थे। वे सामने खड़े किसी व्यक्ति को गाली नहीं दे रहे थे, बल्कि हवा में गालियां देकर क्रोध जता रहे थे। ऐसे में ध्यान रखने योग्य बात है किसी व्यक्ति को सामने गाली नहीं देनी है।

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ऐसे होते है फायदे
गुस्से में शांत रहने वालो को अकसर दिल में दबाव बनता है, जिससे हार्ट अटैक आने की सम्भावना बढ़ जाती है इससे ब्रेन हेमरेज हो सकता है, डिप्रेशन का शिकार होने लगता है या मानसिक तनाव में रहता है। आत्महत्या भी कर लेता है। 

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 जबकि गुस्से में गाली देने से अटैक से बचा जा सकता है। वह गाली नहीं देने वाले इंसान से ज्यादा जोशीला बना रहता है, क्योंकि गाली देने से शरीर के अंदर जो गुस्से का दबाव होता है वह बाहर निकल जाता है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि यही कारण है कि गालियाँ सदियों से और दुनियाभर में दी जाती हैं। भले ही उसके लिए शब्द और भाव अलग-अलग हों।

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