डायबिटिक प्रेगनेंसी में शिशु को हो सकता है मैक्रोसोमिया, जानें खतरा और प्रभाव

ऐसे बच्चों को वजन बढ़ने के साथ साथ उनमें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है

ऐसे बच्चों को वजन बढ़ने के साथ साथ उनमें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है

author-image
Vivek Kumar
एडिट
New Update
डायबिटिक प्रेगनेंसी में शिशु को हो सकता है मैक्रोसोमिया, जानें खतरा और प्रभाव

डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है और अगर यह बीमारी गर्भवती महिला को हो जाए, तो खतरा और भी बढ़ जाता है. क्योंकि इसका असर होने वाले शिशु पर भी पड़ता है. कई बार महिलाएं प्रेगनेंसी से पहले डायबिटीज का शिकार होती हैं और कई बार गर्भावस्था के दौरान इस बीमारी की चपेट में आती हैं. गर्भावस्था में डायबिटीज के कारण शिशु को मैक्रोसोमिया नाम की बीमारी हो सकती है.

मैक्रोसोमिया है एक खतरनाक बीमारी

Advertisment

आपको बता दें जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भ धारण करने के 24 हफ्ते के बाद होती है. वहीं इस समय अगर लापरवाही बरती जाए तो ब्लड शुगर का लेवल बहुत बढ़ जाता है और इसका सीधा असर बच्चे पर पढ़ता है. जिससे बच्चे का वजन सामान्य से ज्यादा हो सकता है. इसके अलावा बच्चे के पैदा होते ही वह हाइपोग्लाइसीमिया में भी जा सकता है. इस स्थिति में नार्मल डिलीवरी की संभावना बेहद कम हो जाती है. नतीजतन शिशु को दौरे पड़ना, स्ट्रोक या कोमा जैसी स्थिति हो सकती है.

क्यों होता है मैक्रोसोमिया

मैक्रोसोमिया की शिकायत नवजात बच्चे में तब होती है जब गर्भवती के खून में शुगर का लेवल बढ़ कर गर्भनाल के जरिए बच्चे के शरीर में शुगर प्रवेश कर जाता है. वहीं बच्चे के शरीर में ज्यादा मात्रा में शुगर पहुंचने पर उसके पैनक्रियाज को इंसुलिन ज्यादा छोड़ना पड़ता है. यह फालतु एनर्जी बच्चे के शरीर में जमा हो जाती है. जो बच्चे को मोटा कर देती है.

प्रभावित हो सकता है शिशु का बचपन

गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती को जेस्टेनल डायबिटीज की शिकायत होती है . ऐसे बच्चों को वजन बढ़ने के साथ साथ उनमें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं ऐसी स्थिति में न्यू बर्न बेबी को जॉन्डिस होने की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है. साथ ही बच्चे के बड़ा होने पर भी डायबिटीज का खतरा बना रहता है.

Source : Sahista Saifi

effect Diabetic macrosomia Diabetic pregnancy risk
Advertisment