Good News: भारत में आई एक और कोरोना दवा, DRDO की 2-DG दवा को मंजूरी
कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के खिलाफ भारत को एक और 'हथियार' मिल गया है. बढ़ते संक्रमण के बीच देश में चौथी वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई है.
highlights
- भारत में आई एक और कोविड वैक्सीन
- DRDO द्वारा विकसित वैक्सीन को मंजूरी
- 2-DG वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के खिलाफ भारत को एक और 'हथियार' मिल गया है. बढ़ते संक्रमण के बीच देश में चौथे इलाज को मंजूरी दे दी गई है. यह दवा पूरी तरह से स्वदेशी है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज (डीआरएल), हैदराबाद के साथ मिलकर बनाया है. डीआरडीओ द्वारा विकसित दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) को डीजीसीआई ने इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए हरी झंडी दी है. नैदानिक परीक्षण परिणामों से पता चला है कि यह अणु अस्पताल में भर्ती रोगियों की तेजी से रिकवरी में मदद करता है एवं बाहर से ऑक्सीजन देने पर निर्भरता को कम करता है. अधिक मात्रा में कोविड रोगियों के 2-डीजी के साथ इलाज से उनमें आरटी-पीसीआर नकारात्मक रूपांतरण देखा गया. यह दवा कोविड-19 से पीड़ित लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगी.
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अप्रैल 2020 में ही डीआरडीओ ने शुरू किया था काम
महामारी के विरुद्ध तैयारी के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के सिलसिले में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 2-डीजी के एंटी-कोविड चिकित्सकीय अनुप्रयोग विकसित करने की पहल की. अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान, आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद की मदद से प्रयोगशाला परीक्षण किए और पाया कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है और वायरल बढ़ने को रोकती है. इन परिणामों के आधार पर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने मई 2020 में कोविड-19 रोगियों में 2-डीजी के चरण-2 के नैदानिक परीक्षण की अनुमति दी.
DRDO की दवा से मरीजों की रिकवरी में सुधार
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अपने उद्योग सहयोगी डीआरएल हैदराबाद के साथ मिलकर कोविड-19 मरीजों में दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता का परीक्षण करने के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू किए. मई से अक्टूबर 2020 के दौरान किए गए चरण- II परीक्षणों (डोज रेजिंग समेत) में दवा कोविड-19 रोगियों में सुरक्षित पाई गई और उनकी रिकवरी में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया गया. दूसरे चरण का संचालन छह अस्पतालों में किया गया और देश भर के 11 अस्पतालों में फेज II बी (डोज रेजिंग) क्लीनिकल ट्रायल किया गया. फेज-2 में 110 मरीजों का ट्रायल किया गया. प्रभावकारिता की प्रवृत्तियों में 2-डीजी के साथ इलाज किए गए रोगियों ने विभिन्न एंडपॉइंट्स पर स्टैंडर्ड ऑफ केयर (एसओसी) की तुलना में तेजी से रोगसूचक उपचार प्रदर्शित किया. इस उपचार के दौरान रोगी के शरीर में विशिष्ट महत्वपूर्ण संकेतों से संबंधित मापदंड सामान्य बनाने में लगने वाले औसत समय में स्टैंडर्ड ऑफ केयर (एसओसी) की तुलना में एक बढ़िया अंतर (2.5 दिन का अंतर) देखा गया.
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220 मरीजों पर फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल हुआ
सफल परिणामों के आधार पर डीसीजीआई ने नवंबर 2020 में चरण-3 नैदानिक परीक्षणों की अनुमति दी. दिल्ली,उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोविड अस्पतालों में दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच 220 मरीजों पर फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल किया गया. तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के विस्तृत आंकड़े डीसीजीआई को पेश किए गए. 2-डीजी के मामले में रोगियों के लक्षणों में काफी अधिक अनुपात में सुधार देखा गया और एसओसी की तुलना में तीसरे दिन तक रोगी पूरक ऑक्सीजन निर्भरता (42 प्रतिशतबनाम 31 प्रतिशत) से आज़ाद हो गए जो ऑक्सीजन थेरेपी/ निर्भरता से शीघ्र राहत का संकेत है.
65 साल से अधिक उम्र के मरीजों पर भी असरदार
इसी तरह का रुझान 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में देखा गया. दिनांक 1 मई, 2021 को डीसीजीआई ने इस दवा के आपातकालीन उपयोग की गंभीर कोविड-19 रोगियों में सहायक चिकित्सा के रूप में अनुमति प्रदान की. ग्लूकोज का एक सामान्य अणु और एनालॉग होने के नाते इसे आसानी से उत्पादित किया जा सकता है और देश में अधिक मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है.
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पानी में घोलकर ली जाती है दवा
एक सैशे में पाउडर के रूप में यह दवा आती है जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है. यह वायरस संक्रमित कोशिकाओं में जमा होती है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस के विकास को रोकती है. वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में इसका चयनात्मक संचय इस दवा को बेजोड़ बनाता है. वर्तमान में जारी दूसरी कोविड-19 लहर में बड़ी संख्या में मरीज गंभीर ऑक्सीजन निर्भरता का सामना कर रहे हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है. संक्रमित कोशिकाओं में दवा के प्रभाव करने के तरीके के कारण इस दवा से बहुमूल्य जीवन बचाने की उम्मीद है. इससे कोविड-19 मरीजों के लिए अस्पताल में बिताए जाने वाले दिनों की संख्या भी कम हो जाती है.
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