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दबे पांव पैर पसार लेता है डिप्रेशन, इन लक्षणों से करें इसकी पहचान

लेकिन ऐसे ही कुछ मामलों में ये नकारात्मकता इतनी अधिक हो जाती है कि गंभीर बीमारी के रूप भी ले लेती हैं और मामला व्यक्ति की मौत के बाद ही थमता है.

Updated on: 04 Feb 2020, 08:41 AM

New Delhi:

हर शख्स अपनी जिंदगी में कभी न कभी अपने ऐसे बुरे वक्त से जरूर गुजरता है जब वह सबसे ज्यादा उदासी का अनुभव करता है, इसे डिप्रेशन कहते हैं. लेकिन ऐसे ही कुछ मामलों में ये नकारात्मकता इतनी अधिक हो जाती है कि गंभीर बीमारी के रूप भी ले लेती हैं और मामला व्यक्ति की मौत के बाद ही थमता है. तो आइए जानते हैं इसके लक्षण..

डिप्रेशन के कारण

कमजोर व्यक्तित्व : बचपन में माता पिता के प्यार का अभाव, कठोर अनुशासन, तिरस्कार, साम्रथ्य से ज्यादा अपेक्षा. किसी की सफलता से ईष्रया.

मानसिक आघात : किसी काम में बार-बार असफल होना. किसी प्रियजन से किसी भी तरह की दूरी.

शारीरिक रोग : कोई गुप्त रोग, या कोई ऐसा रोग जिसमें व्यक्ति लंबे समय तक बिस्तर पर लेटा रहे.

अन्य कारण : पारिवारिक झगडे़, किसी कारण मन में अशांति, संबंध-विच्छेद, आर्थिक परेशानी आदि.

लक्षण-

मानसिक : दो सप्ताह से ज्यादा लगातार उदासी, असंगत महसूस करना, मिजाज में उतार-चढ़ाव, भूलना, एकाग्र न हो पाना, गतिविधियों में रुचि ने लेना, चिंता, घबराहट, अकेलापन, शारीरिक देखभाल में अरुचि, नशे की इच्छा होना आदि.

विचार व अनुभूति : असफलता संबंधी विचार, स्वयं को कोसना, शीघ्र निराश होना, असहयोग, निकम्मेपन के विचार, भविष्य को लेकर नकारात्मकता, आत्महत्या के विचार आदि.

शारीरिक : सामान्य नींद की प्रक्रिया में विघ्न, नींद न आना व सुबह जल्दी उठ जाना, किसी काम को धीरे-धीरे करना, कम भूख लगना, वजन कम होना या अनावश्यक ढंग से बढ़ना, थकान महसूस होना, अपच, मुंह सूखना, कब्ज, अतिसार, मासिक धर्म की अनियमितता, सिर, पेट, सीने, पैरों, जोड़ों में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, पैरों में पसीना आदि.

डिमेंशिया

नए शोध से पता चला है कि अवसाद से ग्रस्त लोगों में डिमेंशिया होने का ख़तरा सामान्य से दो गुना अधिक हो सकता है. डिमेंशिया से इंसान की मानसिक क्षमता, व्यक्तित्व और व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है. जिन लोगों को डिमेंशिया होता है उनकी याद्दाश्त पर असर पड़ता है. अमरीकन पत्रिका न्यूरोलॉजी में ये तथ्य प्रकाशित हुए.

समय से पहले बुढ़ापा

मानसिक बीमारी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (पीटीएसडी) से पीड़ित लोगों को समय से पहले बुढ़ापा आने का खतरा होता है. नए शोध में यह बात सामने आई है. पीटीएसडी कई मानसिक विकारों जैसे गंभीर अवसाद, गुस्सा, अनिद्रा, खान-पान संबंधी रोगों तथा मादक द्रव्यों के सेवन से जुड़ी व्याधि है. सैन डिएगो स्थित युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में साइकेट्री के प्रोफेसर दिलीप वी. जेस्ते व उनके साथियों ने पीटीएसडी में समय से पूर्व बुढ़ापे पर प्रकाशित प्रासंगिक अनुभवजन्य अध्ययनों की व्यापक समीक्षा की.

दिल की बीमारियां

एक अध्ययन में पाया गया है कि बचपन के अवसाद का अगर जल्द इलाज और रोकथाम कर लिया जाए, तो वयस्क होने पर दिल की बीमारी का खतरा कम हो सकता है. अवसादग्रस्त बच्चों के मोटे, निष्क्रिय होने और धूम्रपान करने की संभावना होती है जो किशोरावस्था में ही दिल की बीमारियों के कारण बन सकते हैं

इलाज व बचाव

इलाज : डॉक्टर मरीज की काउंसलिंग करके रोग की वजह समझने का प्रयास करते हैं. इसके बाद आवश्यकता के अनुरूप 6-8 माह तक एंटीडिप्रेसेंट दवाएं देते हैं. दवाओं के साथ-साथ मनोचिकित्सा व व्यवहारिक चिकित्सा द्वारा रोगी की निराशाजनक सोच को बदलने का प्रयास किया जाता है. इस दौरान मरीज को पारिवारिक सहयोग बहुत जरूरी होता है.