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साभार: आईएनएनएस
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साभार: आईएनएनएस
राष्ट्रीय राजधानी में हुक्के के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध है, लेकिन यहां रहने वाले युवा और हुक्का बार मालिक इस प्रतिबंध को धुएं में उड़ा रहे हैं। भारत के अग्रणी उपभोक्ता संगठनों में से एक कंज्यूमर वॉइस द्वारा राजधानी में स्थित हुक्का बारों पर किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है।
यह आलम तब है, जब सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन पर प्रतिबंध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण के विनियमन) अधिनियम 2003 (सीओटीपीए) के अंतर्गत 23 मई, 2017 को जारी भारत सरकार की अधिसूचना जीएसआर 500 (ई) के माध्यम से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने धूम्रपान क्षेत्रों में भी हुक्के के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया था।
सीओटीपीए के अलावा कई राज्य सरकारों ने भी भारतीय दंड संहिता की धारा 268 (सार्वजनिक विघ्न उत्पन्न करना) और 278 (वायु को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाना) के अंतर्गत हुक्का बार मालिकों के विरुद्ध कार्रवाई की थी।
यही नहीं, हाल ही में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली पुलिस और नगर निगमों से हुक्का बार वाले रेस्त्रांओं के लाइसेंस तत्काल निरस्त करने के लिए कहा था।
किंतु एमएआरटी या मार्ट द्वारा कंज्यूमर वॉइस के साथ भागीदारी में अक्तूबर 2017 में किए गए एक पर्यवेक्षकीय अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में धरातल पर स्थितियां बदली नहीं हैं और हुक्का बार प्रतिबंध को धुएं में उड़ा रहे हैं।
शोध टीम ने दिल्ली में 40 हुक्का बारों का दौरा किया, जिनकी पहचान ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर और डिपस्टिक सर्वे के माध्यम से की गई थी।
वॉइस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) असीम सान्याल ने कहा, 'हम दिल्ली में हुक्का बारों पर प्रतिबंध के सरकार के निर्णय का स्वागत करते हैं, किंतु हमारा सर्वे दर्शाता है कि हुक्का बारों का संचालन प्रतिबंधों के बावजूद यथावत जारी है। बारों और पबों में सहायक वस्तुओं के रूप में हुक्के का उपयोग सामान्य रूप से होता देखा गया है और इससे क्षेत्र की युवा वयस्क जनसंख्या को निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही, यह भी देखा गया है कि ये बार और पब छात्र जनसंख्या के लिए आसानी से सुलभ हैं। इसे रोकने की आवश्यकता है।'
हुक्का बार सर्वे के मुताबिक कुछ निश्चित हुक्का बार शैक्षिक संस्थाओं के निकट तथा ऐसे क्षेत्रों में भी स्थित थे, जहां छात्रों, युवाओं की उपस्थिति है (राजधानी कॉलेज, नॉर्थ कैंपस आदि)।
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शैक्षिक संस्थाओं के निकट स्थित बारों में हुक्के के दाम महंगे स्थानों के हुक्का बारों की तुलना में काफी कम थे। इनमें से किसी भी हुक्का बार में ग्राहकों की उम्र की जांच करने वाले कर्मी नहीं थे।
सर्वे में शामिल बारों में से 17 प्रतिशत में बच्चे या अवयस्क भी हुक्का पीते देखे गए। इन बारों में 13 वर्ष से ऊपर के बच्चे हुक्का पीते देखे गए।
इन बारों में बच्चों और युवाओं के आने का समय ऐसा था, जब वे या तो स्कूल छोड़कर आए होंगे या स्कूल/कॉलेज छूटने के फौरन बाद यहां आए होंगे।
इन बारों में सीओटीपीए नियमों (सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान का निषेध नियम, 2008, जी.एस.आर. 417 (ई), दिनांक 30 मई 2008 तथा जी.एस.आर. संख्या 500(ई) दिनाक 23.05.2017 के द्वारा संशोधित) का पालन नहीं किया जा रहा था।
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Source : IANS