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एम्स के डॉक्टरों ने की आत्महत्या की कोशिश, काम के बोझ की वजह से 5 डॉक्टर साइकियाट्रिक वॉर्ड में भर्ती

एम्स के डॉक्टरों पर काम का बोझ इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वो खुद बीमार होने लग गए हैं। बताया जा रहा है कि यहां के कई डॉक्टर ने आत्महत्या तक करने की कशिश की है।

एम्स के डॉक्टरों पर काम का बोझ इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वो खुद बीमार होने लग गए हैं। बताया जा रहा है कि यहां के कई डॉक्टर ने आत्महत्या तक करने की कशिश की है।

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Vineeta Mandal
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एम्स के डॉक्टरों ने की आत्महत्या की कोशिश, काम के बोझ की वजह से  5 डॉक्टर साइकियाट्रिक वॉर्ड में भर्ती

एम्स के डॉक्टर ने कि आत्महत्या की कोशिश (सांकेतिक चित्र)

देश के सबसे बड़े अस्पताल ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) जहां बीमारी से इलाज के लिए हर जगह से लोग आते हैं लेकिन यहां के डॉक्टर अब खुद मानसिक रूप से बीमार पड़ चुके है।

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खबर के मुताबिक एम्स के डॉक्टरों पर काम का बोझ इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वो खुद बीमार होने लग गए हैं। बताया जा रहा है कि यहां के कई डॉक्टर ने आत्महत्या तक करने की कशिश की है। मानसिक रूप से परेशान पांच डॉक्टरों को साइकियाट्रिक वार्ड में भर्ती करवाया गया।

एनेस्थेसिया डिपार्टमेंट के एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर राहुल (बदला हुआ नाम) ने आत्महत्या करने की कोशिश की, हालांकि उनको साथी डॉक्टरों ने बचा लिया।

डॉक्टरों में गंभीर मानसिक समस्याओं के बढ़ने की घटनाओं को देखते हुए सीनियर फैकेल्टी और रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने मांग की थी कि प्रशासन ऐसे काउंसलर्स की नियुक्ति करे जिनसे डॉक्टर जरूरत पड़ने पर संपर्क कर सकें और उनसे अपनी समस्याएं शेयर कर सकें।

उन्होंने एक हेल्पलाइन नंबर की की मांग की है लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। पिछले कुछ सालों में इस प्रतिष्ठित संस्थान के कई डॉक्टरों ने आत्महत्या कर ली है।

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एम्स के सूत्रों का दावा है कि ऐसे मामले अब इसलिए ज्यादा दिख रहे हैं क्योंकि अब इनकी जानकारी दी जा रही है, जबकि पहले ऐसे मामलों को रफा-दफा कर दिया जाता था। डॉक्टरों ने एम्स में स्वस्थ वातावरण बनाने की मांग की है। एम्स में आरडीए के अध्यक्ष डॉ. हरजीत सिंह भट्टी के मुताबिक पहले भी ऐसे मामले सामने आते थे, लेकिन हाल के सालों में यह संख्या बढ़ी है।

बता दें कि देश में सबसे अच्छे इलाज और सुविधा मुहैया कराने वाले एम्स अस्पताल में हर रोज हजारों मरीज आते हैं। वहीं यहां डॉक्टरों की संख्या अपर्याप्त होने से मौजूद डॉक्टरों पर काम का ज्यादा बोझ पड़ता है।

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Source : News Nation Bureau

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