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Big News : DCGI ने भारत की पहली स्वदेशी MRNA वैक्सीन को ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी दी

भारत की पहली स्वदेशी एमआरएनए तकनीक आधारित वाली कोरोना वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से पहले और दूसरे चरण के मानव नैदानिक परीक्षण (ह्यून क्लीनिकल ट्रायल) की मंजूरी मिल गई है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

Updated on: 12 Dec 2020, 12:01 AM

नई दिल्ली:

भारत की पहली स्वदेशी एमआरएनए तकनीक आधारित वाली कोरोना वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से पहले और दूसरे चरण के मानव नैदानिक परीक्षण (ह्यून क्लीनिकल ट्रायल) की मंजूरी मिल गई है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इस एचजीसीओ-19 वैक्सीन को पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स बना रही है और ये भारत में एमआरएनए तकनीक वाली कोविड-19 की पहली वैक्सीन है, जिसे पहले और दूसरे चरण के ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिली है. इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के आईएनडी-सीईपीआई मिशन के तहत अनुदान भी मिला है.

यह वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का उत्पादन करने के लिए पारंपरिक मॉडल का उपयोग नहीं करती है. एमआरएनए तकनीक में वैक्सीन की मदद से मानव कोशिकाओं को जेनेटिक निर्देश मिलता है, जिससे वह वायरस से लड़ने के लिए प्रोटीन विकसित कर सके. यानी इस तकनीक से बनी वैक्सीन शरीर की कोशिकाओं में ऐसे प्रोटीन बनाती है, जो वायरस के प्रोटीन की नकल कर सके. इससे संक्रमण होने पर इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और वायरस को नष्ट करने में मदद मिलती है.

एमआरएनए-आधारित वैक्सीन वास्तव में वैज्ञानिक रूप से एक आदर्श विकल्प हैं, जो तेजी से महामारी के खिलाफ लड़ाई में मददगार है. एमआरएनए वैक्सीन को सुरक्षित माना जाता है. इसके अतिरिक्त एमआरएनए वैक्सीन पूरी तरह से सिंथेटिक हैं.

जेनोवा इस वैक्सीन को अमेरिकी कंपनी एचडीटी बायोटेक कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर बना रही है. एचजीसीओ-19 ने पहले से ही जानवरों में सुरक्षा, प्रतिरक्षा, तटस्थता एंटीबॉडी गतिविधि का प्रदर्शन किया है.