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Covid-19 : विशेषज्ञों ने स्तनपान को सुरक्षित बताया, दुग्ध बैंक से दूध लेने में भी खतरा नहीं

विशेषज्ञों ने कोविड-19 के समय में स्तनपान कराने या मानक सावधानियों के साथ दुग्ध बैंकों से स्तन से निकला दूध लेने को सुरक्षित बताया है.

Updated on: 09 Aug 2020, 07:10 PM

दिल्ली:

विशेषज्ञों ने कोविड-19 (Covid-19) के समय में स्तनपान कराने या मानक सावधानियों के साथ दुग्ध बैंकों से स्तन से निकला दूध लेने को सुरक्षित बताया है. मानव दुग्ध बैंक या स्तन दुग्ध बैंक ऐसी सेवा है जिसके तहत स्तनपान कराने वाली मांओं द्वारा दान किए गए दूध को जमा कर, उसकी जांच एवं प्रसंस्करण किया जाता है तथा डॉक्टरों की सलाह पर वितरित किया जाता है. दान करने वाली मांएं शिशु से जैविक रूप से जुड़ी हुई नहीं होती हैं.

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ह्यूमन मिल्क बैंकिंग एसोसिएशन (भारत) के अध्यक्ष एवं भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी के यंग चाइल्ड फीडिंग चैप्टर के प्रमुख केतन भारदव ने कहा कि जिन शिशुओं को जिस किसी भी कारण से मां का दूध नहीं मिल पाता है उनके लिए दूसरा बेहतर विकल्प वैज्ञानिक तरीके से संचालित मानक दुग्ध बैंक से पाश्चरीकृत मानव दूध लेना है. उन्होंने कहा कि मुद्रण पूर्व उपल्बध वैज्ञानिक पत्रिकाओं में इस बात के ठोस सबूत मिले हैं कि होल्डर पाश्चरीकृत तरीके से दूध को पाश्चरीकृत करने से कोविड-19 के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस मर जाता है.

भारदव ने बताया, “दुग्ध बैंकों से दूध लेना कोविड के समय में सुरक्षित है. अगर किसी भी कारण से मां का दूध उपलब्ध नहीं है तो शिशुओं के लिए दूसरा बेहतर विकल्प वैज्ञानिक तरीके से संचालित मानक दुग्ध बैंक से पाश्चरीकृत मानव दूध लेना है.” होल्डर पाश्चरीकरण दूध को आधे घंटे तक 62.5 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म कर नुकसानदेह कीटाणुओं को मारना और फिर से उसे कमरे के तापमान तक ठंडा करने की प्रक्रिया है. यह बताते हुए कि पाश्चरीकृत दाता दूध उसकी मांग की तुलना में मुश्किल से मिलने वाला उत्पाद है, उन्होंने कहा कि यह समय से पहले जन्मे शिशुओं को दिया जाता है जिन्हें अपनी मां से पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है.

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उन्होंने बताया कि जिन शिशुओं की मांओं को दूध नहीं उतरता या जिन्हें गट सिंड्रोम, सेप्सिस, गेस्ट्रोस्किसिस, आंतों में रुकावट और आंतों में घाव जैसी समस्या होती है उन्हें भी यह दूध दिया जाता है. ‘अलाइव एंड थ्राइव इंडिया’ के वरिष्ठ तकनीकी एवं कार्यक्रम सलाहकार शैलेष जगताप ने कहा कि अब तक कोरोना संक्रमित मांओं से उनके अजन्मे या नवजात शिशुओं में वायरस के सीधे या स्तनपान के जरिए फैलने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है.

उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा वैश्विक महामारी के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस कोरोना संक्रमित मरीजों के करीब से संपर्क में आने से हवा के माध्यम से फैल रहा है.” जगताप ने कहा, “कोरोना संक्रमित मां त्वचा से त्वचा का संपर्क दे सकती है और प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान करा सकती है तथा बच्चा और मां एक ही कमरे में रह सकते हैं बशर्ते हाथों की साफ-सफाई और सर्जिकल मास्क के प्रयोग का ध्यान रखा जाए.”