'अमेरिका और यूरोप की वैक्सीन से बेहतर है Covaxin, नए स्ट्रेन पर भी रहेगी कामयाब'
भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सीन' अन्य देशों की वैक्सीन से बहुत बेहतर है. कोवैक्सीन नए स्ट्रेन पर भी कामयाब रहेगी. यह दावा को-वैक्सीन के मुख्य अनुसंधानकर्ता और एम्स के प्रोफेसर संजय कुमार राय ने किया है.
नई दिल्ली:
भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सीन' अन्य देशों की वैक्सीन से बहुत बेहतर है. कोवैक्सीन नए स्ट्रेन पर भी कामयाब रहेगी. यह दावा को-वैक्सीन के मुख्य अनुसंधानकर्ता और एम्स के प्रोफेसर संजय कुमार राय ने किया है. उनका कहना है कि फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन वायरस की सिर्फ एक प्रोटीन रिसेप्टर पर काम करती है, जिससे स्पाइक प्रोटीन कहा जाता है, लेकिन भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा निर्मित वैक्सीन में डेड वायरस का प्रयोग किया जाता है, जो संक्रमण के बदलाव और नई स्ट्रेन पर भी कामयाब रहेगा. इसलिए भारत की व्यक्ति अन्य देशों की वैक्सीन की तुलना में बेहतर है.
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'भारत में नहीं दिखेंगे सितंबर जैसे मामले'
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के कम्युनिकेबल डिजज प्रमुख डॉक्टर संजय कुमार राय का यह बयान तब आया है, जब ब्रिटेन ऐसी वैक्सीन कि 50 मिलीयन डोज खरीद रहा है जो नए स्ट्रेन पर कामयाब हो. डॉक्टर संजय की मानें तो थोड़ी बहुत उतार-चढ़ाव अलग-अलग समय में अलग-अलग राज्यों के अंदर कोरोनावायरस को लेकर देख सकते हैं, लेकिन जिस तरह से सितंबर में हर दिन एक लाख के करीब नए के सामने आ रहे थे, ऐसा अब नहीं होने वाला.
जरूरी है तेजी से किया जाए टीकाकरण
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने निजी अस्पतालों को टीकाकरण अभियान में शामिल किया है, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी भी बिल्कुल ठीक है. शुरुआत में हम भले ही बहुत तेजी से टीकाकरण कर रहे थे, लेकिन अब कुछ कमी आई है. लिहाजा कोरोनावायरस कारगर जंग में जरूरी है. तेजी से टीकाकरण किया जाए.
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कोई भी टीका पूरा सुरक्षित नहीं
डॉक्टर संजय कुमार राय के मुताबिक, दुनिया में ऐसी कोई बीमारी का टीका नहीं है, जो 100 फीसदी सफल रहा हो. भारत बायोटेक की व्यक्ति 81 फीसदी सफल है, इसलिए इस बात की पूरी संभावना रहती है कि कुछ लोगों को टीकाकरण के बाद भी कोरोना हो जाए ,इसलिए बच कर रहना बेहद जरूरी है.
मौजूदा वैक्सीन प्रभावी, बदलनी पड़ी तो नहीं लगेगा ज्यादा समय
उधर, सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल शेखर पांडे ने बताया कि अभी तक ऐसा कोई शोध सामने नहीं आया है, जिससे यह तय किया जा सके कि नए स्ट्रेन के सामने मौजूदा वैक्सीन प्रभावी नहीं है, लेकिन अगर म्यूटेशन बहुत ज्यादा होती है तो भी नई वैक्सीन बनाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. गौरतलब है कि ब्रिटेन ने ऐसी नई वैक्सीन की 50 मिलीयन डॉलर्स का आर्डर दिया है जो नई ट्रेन के सामने कारगर साबित हो. उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में तेजी से कोरोना के आंकड़े बढ़ रहे हैं. वह भी बहुत ज्यादा म्यूटेशन देखने को नहीं मिली है तो ऐसा नहीं कहा जा सकता कि संक्रमण बहुत तेजी से बदल रहा है या मौजूदा संक्रमण के सामने टीकाकरण अभियान कार्यक्रम नहीं है.
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