'कोवैक्सीन' को नहीं मिली आपातकालीन उपयोग की मंजूरी, दोबारा मांगा डेटा

भारत बायोटेक द्वारा उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए प्रदान किया गया डेटा पर्याप्त नहीं है.

भारत बायोटेक द्वारा उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए प्रदान किया गया डेटा पर्याप्त नहीं है.

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Nihar Saxena
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Covaxin

डेटा अपर्याप्त रहने से नहीं मिली मंजूरी.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की विषय विशेषज्ञ समिति ने माना कि भारत बायोटेक द्वारा उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए प्रदान किया गया डेटा पर्याप्त नहीं है. विशेषज्ञ समिति ने भारत बायोटेक को और अधिक जानकारी मुहैया कराने को कहा है. इससे पहले सीडीएससीओ की 10 सदस्यीय विषय विशेषज्ञ समिति ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोविशिल्ड' के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण को मंजूरी दे दी थी.

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इसके साथ ही यह भारत में पहली ऐसी वैक्सीन बन गई, जिसे आपातकालीन उपयोग के लिए समिति की मंजूरी मिल गई. पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ने क्लिनिकल परीक्षण और 'कोविशिल्ड' के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ भागीदारी की है, जबकि भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर 'कोवैक्सीन' बनाई है.

विशेषज्ञ पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की ओर से ह्यकोविशिल्ड और भारत बायोटेक द्वारा 'कोवैक्सीन' के लिए मांगे गए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण पर निर्णय लेने के लिए एक बैठक बुलाई थी. एक बार जब समिति की ओर से वैक्सीन के लिए रास्ता साफ हो गया, तब अंतिम अनुमोदन के लिए आवेदन भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) वी. जी. सोमानी को भेज दिया गया है.

अमेरिका की फाइजर पहली वैक्सीन थी, जिसने चार दिसंबर को त्वरित अनुमोदन के लिए आवेदन किया था. इसके बाद क्रमश: छह और सात दिसंबर को सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने आवेदन किया था. फाइजर ने हालांकि अभी डेटा पेश करने के लिए और समय मांगा है. डीसीजीआई ने गुरुवार को इस बात का संकेत दिया था कि भारत में नए साल में कोविड-19 वैक्सीन आ सकती है. डीसीजीआई ने उम्मीद जताई कि नववर्ष बहुत शुभ होगा, जिसमें हमारे हाथ में कुछ होगा.

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के विशेषज्ञों की समिति ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल की अनुमति देने के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की गुजारिश और 'कोवैक्सीन' के आपात इस्तेमाल को अनुमति देने के भारत बायोटेक के आग्रह पर विचार करने के लिए बुधवार को बैठक की थी. केंद्र सरकार ने ड्राइव के पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की योजना बनाई है. वैक्सीन सबसे पहले एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ ही दो करोड़ फ्रंटलाइन और आवश्यक वर्कर्स और 27 करोड़ बुर्जुगों को दी जीएगी. वैक्सीन के लिए पहले से बीमारियों का सामना कर रहे 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी.

Source : IANS/News Nation Bureau

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