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नाक के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश कर सकता है कोरोना वायरस : अध्ययन

एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस लोगों की नाक से उनके दिमाग में प्रवेश कर सकता है.

Updated on: 01 Dec 2020, 02:42 PM

बर्लिंन:

एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस लोगों की नाक से उनके दिमाग में प्रवेश कर सकता है. अध्ययन के निष्कर्ष की मदद से अब यह पता लगाना संभव हो सकेगा कि कोविड-19 बीमारी के दौरान मरीजों में 'न्यूरोलॉजिकल' लक्षण क्यों उभर रहे हैं और उनका इलाज कैसे किया जाए.

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'नेचर न्यूरोसाइंस' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, सार्स-सीओवी-2 ना सिर्फ श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है बल्कि केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर भी प्रभाव डालता है जिससे अलग-अलग 'न्यूरोलॉजिकल' लक्षण जैसे सूंघने, स्वाद पहचानने की शक्ति में कमी आना, सिर दर्द, थकान और चक्कर आदि दिखने लगते हैं.

हालांकि ताजा अध्ययन में मस्तिष्क में वायरल 'आरएनए' और 'सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड' की मौजूदगी की बात की गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वायरस कहां से प्रवेश करता है और कैसे फैलता है. जर्मनी के चारिटे विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने श्वसन नली (गले के ऊपरी हिस्से से लेकर नाक तक) का परीक्षण किया.

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अध्ययन में कोविड-19 से मरने वाले 33 मरीजों को शामिल किया गया. उनमें से 11 महिलाएं और 22 पुरुष थे. उन्होंने बताया कि मरने वालों की औसत आयु 71.6 साल थी. वहीं कोविड-19 के लक्षण दिखने से लेकर उनकी मृत्यु तक का औसत समय 31 दिन रहा है. अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि उन्हें मस्तिष्क और श्वसन नली में सार्स-सीओवी-2 आरएनए (वायरस का जेनेटिक मेटेरियल) और प्रोटीन मिले हैं.