भारत में कब आएगी कोरोना वैक्सीन? Covid-19 के टीके को लेकर आई ये Good News
देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस वक्त लोगों को सबसे ज्यादा इंतजार कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) का है.
नई दिल्ली:
देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस वक्त लोगों को सबसे ज्यादा इंतजार कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) का है. भारत की 3 वैक्सीन सहित दुनियाभर में कई वैक्सीन्स पर काम चल रहा है, लेकिन किसी कंपनी ने अभी तक वैक्सीन लॉन्च करने की तिथि घोषित नहीं की है. भारत में जिन वैक्सीन पर काम चल रहा है, उनमें से 'कोवैक्सीन' एक है. इसे लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. भारत बायोटेक की ओर से विकसित की जा रही कोरोना वैक्सीन 'COVAXIN' के तीसरे फेज के ट्रायल को उत्तर प्रदेश में मंजूरी मिल गई है.
कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सीन' का ट्रालय उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गोरखपुर में चल रहा है. यूपी के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि कोरोना वैक्सीन 'COVAXIN' के फेज-3 के ट्रायल की अनुमति प्रदान की गई है. लखनऊ में अक्टूबर में एसजीपीजीआई और गोरखपुर में भारत बायोटेक के साथ बीआरडी मेडिकल कॉलेज ट्रायल को लीड करेगा.
'कोवैक्सीन' के तीसरे फेज के ट्रायल के दौरान भारत बायोटेक चिकित्सा शिक्षा के अपर मुख्य सचिव डॉ रजनीश दुबे के संपर्क में रहेगा. समय-समय पर उन्हें वैक्सीन ट्रायल की प्रक्रिया व गतिविधियों से अवगत कराते रहना होगा. इस अनुमति के बाद अब भारत बायोटेक लखनऊ एवं गोरखपुर के लोगों पर वैक्सीन को प्रयोग कर सकेगी.
आपको बता दें कि भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) व राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) के साथ मिलकर यह पहला स्वदेशी टीका कोवैक्सीन तैयार कर रहा है. फिलहाल दो चरण के ट्रायल किए जा चुके हैं. अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि तीसरे चरण का ट्रायल यूपी में लखनऊ व गोरखपुर में करने को मंजूरी दी गई है. इसमें इन दो संस्थानों के साथ-साथ और लोगों पर भी इसका परीक्षा किया जाएगा.
विशेषज्ञों के अनुसार वैक्सीन के तीसरे चरण में देखा जाता है कि लोगों की बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है या नहीं. इसका कोई दुष्परिणाम तो नहीं हो रहा है. टीका कोवैक्सीन के ट्रायल के तहत कोरोना के फ्रंट लाइन वर्कर व अन्य अलग-अलग उम्र के लोगों को टीका लगाया जाता है. टीका लगाने से पहले एंटीबाडी चेक की जाती है, अगर एंटीबाडी शून्य है तो टीका लगाया जाता है. फिर दोबारा खून के नमूने की जांच होती है, अगर एंटीबाडी बन रही है तो टीका काम कर रहा है.
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