logo-image

दूसरी लहर से कम घातक होगी तीसरी लहर, इस माह में होगा चरम

भारत में जहां कोरोना वायरस (Corona Virus) की दूसरी लहर का कहर धीमा पड़ रहा है तो वहीं तीसरी लहर आने की भी आशंका जताई जा रही है. देश में कोविड की तीसरी लहर कब आएगी, इसे लेकर अलग-अलग संभावनाएं जताई जा रही है.

Updated on: 30 Aug 2021, 08:08 PM

नई दिल्ली:

भारत में जहां कोरोना वायरस (Corona Virus) की दूसरी लहर का कहर धीमा पड़ रहा है तो वहीं तीसरी लहर आने की भी आशंका जताई जा रही है. देश में कोविड की तीसरी लहर कब आएगी, इसे लेकर अलग-अलग संभावनाएं जताई जा रही है. इस बीच विशेषज्ञों ने एक दावा किया है कि भारत में अक्टूबर और नवंबर के बीच कोरोना की तीसरी लहर चरम पर हो सकती है. हालांकि, तीसरी लहर का कहर दूसरी लहर की तुलना में काफी कम होगा. महामारी के गणितीय प्रारूप में शामिल एक वैज्ञानिक ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है. 

आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिक मणिंद्र अग्रवाल ने कहा कि अगर देश में कोरोना का कोई नया स्वरूप नहीं आता है तो स्थिति में बदलाव की संभावना नहीं है. वे 3 सदस्यीय विशेषज्ञ दलों का हिस्सा हैं, जिसे कोविड संक्रमण में बढ़ोतरी का अनुमान लगाने का काम सौंपा गया है. बताया जा रहा है कि अगर देश में कोरोना की तीसरी लहर आती है तो रोजाना एक लाख केस सामने आएंगे, जबकि मई में दूसरी लहर के चरम पर रहने के दौरान प्रतिदिन 4 लाख केस सामने आ रहे थे. दूसरी लहर में कई लोगों को अपनी जान गंवाई पड़ी थी और लाखों लोग संक्रमित हुए थे. 

वैज्ञानिक मणिंद्र अग्रवाल ने ट्वीट कर कहा कि अगर नया वैरिएंट नहीं आता है तो यथास्थिति बनी रहेगी. यदि सितंबर तक 50 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक वैरिएंट सामने आते हैं तो नया स्वरूप सामने आएगा. आप देख सकते हैं कि नए वैरिएंट से ही कोरोना की तीसरी लहर आएगी और उस स्थिति में नए केस बढ़कर रोजाना एक लाख हो जाएंगे.

आपको बता दें कि पिछले माह मॉडल के अनुसार बताया गया था कि अक्टूबर और नवंबर के बीच में तीसरी लहर चरम पर होगी और प्रतिदिन कोरोना मामले डेढ़ लाख से दो लाख के बीच होंगे. ये तब हो सकता है कि जब सार्स-कोव-2 का ज्यादा संक्रामक उत्परिवर्तन होता है. हालांकि, डेल्टा से ज्यादा संक्रामक उत्परिवर्तन सामने नहीं आए हैं. पिछले सफ्ताह का अनुमान भी इसी तरह का था, लेकिन नए अनुमान में रोज मामलों की संख्या घटाकर एक से डेढ़ लाख की गई है. अग्रवाल ने आगे कहा कि नवीनतम आंकड़ों में जुलाई-अगस्त में हुए टीकाकरण और सीरो सर्वेक्षण को भी शामिल किया गया है.