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कोरोना मरीजों को दी जा रही दवाओं के सामने आए साइड इफेक्ट

आईसीएमआर ने इस रिपोर्ट को दिल्ली के 30 अलग-अलग सेंटर से डेटा लेने के बाद तैयार किया गया है.  

Updated on: 04 Sep 2021, 10:17 AM

highlights

  • एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के इस्तेमाल से बढ़ रहा खतरा
  • 30 अलग-अलग सेंटर की रिपोर्ट से तैयार किया डाटा
  • कोरोना से ठीक मरीजों में बढ़ रहा फंगल इंफेक्शन का खतरा

नई दिल्ली:

कोरोना के कहर से पूरी दुनिया अभी भी कराह रही है. तीसरी लहर के संभावित खतरे के बीच अब पोस्ट कोविड का खतरा और चिंता बढ़ा रहा है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के एक ताजा रिसर्च में सामने आया है कि एंटीमाइक्रोबियल (Antimicrobials) के ज़्यादा इस्तेमाल के चलते कोरोना के मरीजों में दोबोरा फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ रहा है. दरअसल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस रिसर्च एंड सर्विलांस नेटवर्क की नवीनतम सालाना रिपोर्ट इसी शुक्रवार को ही जारी की गई है. इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली सामने आई हैं. 

एंटीमाइक्रोबियल है क्या?
जिस तरह एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए किया जाता है. उसी तरह एंटीमाइक्रोबियल का इस्तेमाल इंसानों, जानवरों और पौधों में फंगल इंफेक्शन को रोकने के लिए किया जाता है. कोरोना के मरीजों में फंगल इंफेक्शन का खतरा काफी रहता है. कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में ब्लैक, ग्रीन और येलो फंगस के मामले सामने आ चुके हैं. इन्हीं के इलाज में इन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. आईसीएमआर के मुताबिक एंटीमाइक्रोबियल के ज्यादा इस्तेमाल से पैथोजेन बनते हैं, यानी उस बैक्टीरिया और फंगस का जन्म होता है जो दोबारा फंगल इंफेक्शन पैदा कर रहा है. 

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बढ़ रहा फंगल इंफेक्शन का खतरा
रिसर्च में सामने आया है कि कोरोना के मरीजों को होने वाला इंफेक्शन दवाई के इस्तेमाल के बाद भी जल्दी खत्म नहीं होता है. इसे एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस कहा जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस पैथोजेन के चलते मरीजों में निमोनिया और युरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन देखा जाता है. रिपोर्ट में इस बात को लेकर भी चिंता जताई गई है कि कोरोना के चलते फंगल इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ रहा है. यह इसलिए भी चिंताजनक है कि जिन मरीजों की कोरोना से जान बच भी गई उनकी फंगल इंफेक्शन से मौत हो गई. 

रिसर्च में क्या आया सामने?
आईसीएमआर ने इस रिसर्च के लिए दिल्ली के 30 अलग-अलग सेंटर से डाटा लिया. इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि नए पैथोजेन का कैसे इलाज किया जाए. एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस रिसर्च एंड सर्विलांस नेटवर्क की रिसर्च में सामने आया कि एंटीमाइक्रोबियल के ज्यादा इस्तेमाल से पैथोजेन बनते हैं, यानी उस बैक्टीरिया और फंगस का जन्म होता है जो दोबारा फंगल इंफेक्शन पैदा कर रहा है. इससे लोगों में खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.