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कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन 8 गुना कम कारगार, स्टडी में किया गया दावा

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस ने दुनिया भर में कोहराम मचा दिया है. कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे को देखते हुए तीसरी लहर की आशंका और बढ़ गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के इस वैरिएंट पर वैक्सीन ज्यादा कारगार साबित नहीं होगी.

Updated on: 06 Jul 2021, 10:01 AM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस ने दुनिया भर में कोहराम मचा दिया है. कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे को देखते हुए तीसरी लहर की आशंका और बढ़ गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के इस वैरिएंट पर वैक्सीन ज्यादा कारगार साबित नहीं होगी. दिल्ली स्थित एक अस्पताल की स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन आठ गुना कम असरदार है. ये स्टडी दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल सहित भारत में तीन केंद्रों पर 100 से अधिक हेल्थ वर्कर्स पर की गई है. कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ थेराप्यूटिक इम्यूनोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज के वैज्ञानिक भी इस स्टडी का हिस्सा थे. रिसर्चर्स ने पाया है कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हेल्थ वर्कर्स के संक्रमित होने के पीछे की वजह ज्यादातर में डेल्टा वैरिएंट ही था.

वहीं बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा कोरोना वायरस के B.1.617.2 या डेल्टा वैरिएंट को पहले ही 'चिंता का एक रूप' करार दिया जा चुका है. स्टडी में दावा किया गया है, भारत में डेल्टा वैरिएंट का प्रभुत्व पहले से संक्रमित व्यक्तियों में एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने और वायरस की संक्रामकता में बढ़ोतरी से प्रेरित है.

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अगस्त में भारत में कोविड की तीसरी लहर आने की संभावना

भारत में अगस्त के मध्य तक खतरनाक कोरोना वायरस की तीसरी लहर आने की संभावना है, जबकि मामले सितंबर में चरम पर पहुंच सकते हैं. ये आशंका सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में जाहिर की गई है. हालांकि भारत देश में दूसरी लहर अभी खत्म भी नहीं हुई है. एसबीआई रिसर्च द्वारा प्रकाशित 'कोविड -19: द रेस टू फिनिशिंग लाइन' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि टीकाकरण ही एकमात्र बचावकर्ता है क्योंकि वैश्विक डेटा से पता चलता है कि औसतन, तीसरी लहर के मामले दूसरी लहर के समय चरम मामलों के लगभग 1.7 गुना हैं.

भारत में केवल 4.6 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया गया है, जबकि 20.8 प्रतिशत को एक खुराक मिली है, जो अमेरिका (47.1 प्रतिशत), यूके (48.7 प्रतिशत), इजराइल (59.8 प्रतिशत) स्पेन (38.5 प्रतिशत), फ्रांस (31.2) में अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है.

रिपोर्ट के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने कहा, "भारत ने 7 मई को अपना दूसरा वेव पीक हासिल कर लिया है और मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, देश जुलाई के दूसरे सप्ताह में लगभग 10,000 मामलों का अनुभव कर सकता है."

उन्होंने कहा "हालांकि, ऐतिहासिक रुझानों के आधार पर, कम से कम एक महीने बाद चरम मामलों के साथ 21 अगस्त के दूसरे पखवाड़े तक मामले बढ़ना शुरू हो सकते हैं."

वर्तमान मामले अब पिछले सप्ताह से 45,000 के आसपास मंडरा रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि विनाशकारी दूसरी लहर "अभी तक देश में खत्म नहीं हुई है ."

घोष ने कहा, "पहली लहर में भी, मामलों में धीरे-धीरे गिरावट आई, दैनिक मामलों में किसी भी सार्थक गिरावट से पहले 21 दिनों के लिए लगभग 45,000 मामले सामने आए."

इसके अलावा, 12 राज्यों से अब तक डेल्टा प्लस संस्करण के 51 मामलों का पता चला है. शीर्ष 15 जिलों में नए मामले, जो ज्यादातर शहरी हैं, जून में केस फिर से बढ़े. लेकिन अच्छी बात यह है कि तीन महीने से इनकी मृत्यु दर स्थिर है.

दूसरी ओर, नए मामलों में ग्रामीण जिलों की हिस्सेदारी जुलाई 2020 से सार्थक रूप से घटने से इनकार कर रही है, जब यह 45 प्रतिशत से अधिक हो गई थी और तब से इसमें उतार-चढ़ाव आया है. घोष ने कहा, 'टीकाकरण ही एकमात्र जवाब लगता है.'

भारत ने प्रतिदिन 40 लाख से ज्यादा टीकाकरण खुराक देना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने 60 साल से ऊपर की आबादी के बड़े प्रतिशत को पहले ही दोनों टीके दिए हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में कुल टीकाकरण कम है.

तमिलनाडु, पंजाब, उत्तर प्रदेश, असम, बिहार और झारखंड में 45 वर्ष से अधिक आयु वालों के कम अनुपात में टीका लगाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन राज्यों को टीकाकरण में रफ्तार पकड़ने की जरूरत है.

अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान, पोलैंड, पुर्तगाल, रूस और स्विटजरलैंड में डेल्टा स्ट्रेन का पता चला है, जिसने अप्रैल और मई में दूसरी बार भारत में काफी तबाही मचाई थी. यह यूके में प्रमुख रूप है और अब 95 प्रतिशत मामलों को अनुक्रमित किया जा रहा है.

यूके और इजरायल जैसे यथोचित टीकाकरण वाले देशों का उदाहरण देते हुए, घोष ने कहा, 'कोई भी टीका लेने के बाद भी आत्मसंतुष्ट नहीं हो सकता है'. अन्य उपाय जैसे मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड-उपयुक्त होना जरूरी है.