logo-image

कोरोना के इस वेरिएंट के खिलाफ Covishield हुआ बेअसर, ऐसे करें अपना बचाव

देश में कोरोना की चौथी लहर की आशंका के बीच कोरोना संक्रमण की दर एक बार फिर से बढ़ने लगी है. इस बीच एक बुरी खबर है कि कोवीशील्ड की दोनों डोज लगा चुके लोगों को ओमीक्रोन वेरिएंट BA.1 (Omicron Variant BA.1) से लड़ने के लिए बूस्‍टर डोज लगाना पड़ेगा.

Updated on: 25 Apr 2022, 09:45 AM

highlights

  • ओमीक्रॉन पर ICMR के विशेषज्ञों का चौंकाने वाला खुलासा
  • दोनों डोज लगाने के 6 महीने बाद एंटी बॉडी घटने लगती है
  • BA.1 व  BA.2 वेरिएंट से टक्कर के लिए बूस्टर डोज जरूरी

नई दिल्ली:

देश में कोरोना की चौथी लहर की आशंका के बीच कोरोना संक्रमण की दर एक बार फिर से बढ़ने लगी है. दिल्ली-एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, केरल और महाराष्ट्र में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. दिल्ली में लगातार तीसरे दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या 1000 के पार रही. इसके साथ ही एक बार फिर कोरोना गाइडलाइन को लागू किया जा रहा है. मास्क लगाना अनिवार्य किया जा रहा है और मास्क नहीं लगाने वालों के चालान काटे जा रहे हैं. इस बीच एक बुरी खबर है कि कोवी शील्ड की दोनों डोज लगा चुके लोगों को ओमीक्रोन वेरिएंट BA.1 (Omicron Variant BA.1) से लड़ने के लिए बूस्‍टर डोज लगाना पड़ेगा. एक शोध में पाया गया है कि Covishield का असर 6 महीने में खत्म हो जाती है. लिहाजा, Covi-Shield के दोनों डोज या फिर कोविशील्ड और को-वैक्सीन का मिश्रण लगाने वालों को भी नए वेरिएंट से बचाव के लिए बूस्टर डोज लगाना पड़ेगा, क्योंकि दोनों डोज लगाने के 6 महीने बाद एंटी बॉडी घटने लगती है. 

ICMR ने पात्र लोगों से की तुरंत बूस्टर डोज लगाने की अपील
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NIV) के स्‍टडी में पता चला है ओमीक्रोन के खिलाफ Covishield की दोनों डोज उतनी असरदार नहीं है. Covishield की दोनों डोज लेने के बाद भी ओमीक्रोन और उसके अन्य सब-वेरिएंट लोगों को बहुत बीमार कर सकते हैं. ऐसे में ओमीक्रोन के घातक वेरिएंट BA.1 और BA.2 से टक्कर के लिए सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज लगवानी चाहिए. 


Antibody को बेअसर कर देता है Omicron
दरअसल, Covishield के एक अध्ययन में पाया गया है कि ओमीक्रोन में वैक्सीन लगा चुके लोगों में बनी एंटीबॉडी को भी बेअसर करने की क्षमता है.  Covishield वैक्सीन को लेकर किए गए एक स्टडी में पाया गया है कि इस वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी लोगों में ओमीक्रोन का असर दिख रहा है. इसके साथ ही अध्ययन में ये भी पाया गया कि ओमीक्रोन का नया वेरिएंट BA.1 लोगों के जिस्म में बने एंटीबॉडी को भी प्रभावित कर रहा है. हालांकि, राहत की बात ये है कि अध्ययन में पाया गया है कि अगर बूस्टर डोज ले ली जाए, तो एक बार फिर काफी हद तक एंटीबॉडी कोरोना के इस नए वेरिएंट के खिलाफ भी असरदार साबित हो सकती है. इसके साथ ही इस अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वेरिएंट (Omicron Variant) के विरुध कोविशील्ड (Covishield) और को-वैक्सीन (Co-vaxin) उतनी ही प्रभावी है, जितनी डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ थी. इस अध्ययन में साफ-साफ कहा गया है कि कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वेरिएंट BA.1 (Omicron Variant BA1) के खिलाफ बूस्‍टर डोज बहुत ही जरूरी है. लिहाजा, बूस्टर डोज से ही कोरोना की चौथी लहर (Corona Fourth wave) से बचा जा सकता है।

ये भी पढ़ें- चुनाव से पहले हार्दिक पटेल भी कांग्रेस आला कमान से हुए नाराज, ये बड़ी वजह आई सामने

ऐसे किया गया शोध
ICMR के एक वैज्ञानिक ने कहा क‍ि कोविशील्ड की दूसरी डोज लेने के 180 दिन बाद 24 कोविड संक्रमित लोगों से सीरम के सैंपल लिए गए थे. इनमें से 17 उन लोगों के सैंपल थे, जो पहले कोरोना से ठीक हो चुके थे. इन लोगों ने कोविशील्ड की दोनों डोज लगवा लिया था। तीसरे ग्रुप में 46 ऐसे लोगों को शामिल किया गया था, जिन्हें कोविशील्ड की दोनों डोज लेने के बाद SARS-CoV-2 का संक्रमण हुआ था. गौरतलब है कि इस समूह के सीरम के सैंपल कोरोना संक्रमण के 14-30 दिनों के बाद एकत्र किए गए थे. 46 सफल मामलों में से केवल 21 मामलों में पूर्ण जीनोम प्राप्त किया जा सके. इस अध्ययन में पाया गया कि ओमीक्रोन ने वैक्सीन को काफी हद तक बेअसर कर दिया था.