सावधान! तेजी से पांव पसार रहा कैंसर, इस साल 14 लाख तो 2025 तक जानें कितने हो जाएंगे केस
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र ने कहा है कि इस साल भारत में कैंसर के मामले 13.9 लाख रहने का अनुमान है जो 2025 तक 15.7 लाख तक पहुंच सकते हैं. आईसीएमआर ने कहा कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्र
दिल्ली:
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR - आईसीएमआर) और राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र ने कहा है कि इस साल भारत में कैंसर (Cancer) के मामले 13.9 लाख रहने का अनुमान है जो 2025 तक 15.7 लाख तक पहुंच सकते हैं. आईसीएमआर ने कहा कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम रिपोर्ट, 2020 में दिया गया यह अनुमान 28 जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री से मिली सूचना पर आधारित है. इसने कहा कि इसके अलावा 58 अस्पताल आधारित कैंसर रजिस्ट्री ने भी आंकड़ा दिया. बयान के अनुसार तंबाकू जनित कैंसर के मामले 3.7 लाख रहने का अनुमान है जो 2020 के कैंसर के कुल मामले का 27.1 फीसद हेागा. बयान में कहा गया है, ‘‘महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले दो लाख (यानी 14.8 फीसद), गर्भाशय के कैंसर के 0.75 लाख (यानी 5.4 फीसद) , महिलाओं और पुरूषों में आंत के कैंसर के 2.7 लाख मामले (यानी 19.7 फीसद) रहने का अनुमान है.’’
यह भी पढ़ें : सावधान! दांत भी हो सकती है कैंसर की वजह, ऐसे करें बचाव
उधर, धुआंरहित तंबाकू के सेवन से दुनियाभर में होने वाली मौतों की संख्या सात साल में तीन गुना बढ़कर लगभग तीन लाख पचास हजार हो गई है. एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई. अध्ययन के अनुसार विश्वभर में धुआंरहित तंबाकू के प्रयोग से होने वाली बीमारियों के 70 प्रतिशत रोगी भारत में हैं. अध्ययन में ब्रिटेन के यॉर्क विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं समेत अन्य वैज्ञानिक शामिल हैं.
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह शोध ऐसे समय हुआ है जब आमतौर पर तंबाकू चबाने और थूकने वालों की आदत से कोरोना वायरस फैलने का खतरा है. बीएमसी मेडिसिन नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में सरकारी और जन स्वास्थ्य संस्थाओं से कहा गया है कि वह धुआंरहित तंबाकू के उत्पादन और विक्रय पर लगाम लगाएं. वैज्ञानिकों के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध लगने से धुआंरहित तंबाकू के प्रयोग में कमी आएगी और कोविड-19 के प्रसार को कम किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें : सर्वाइकल कैंसर के कारणों और बचाव से अंजान है महिलाएं: FOGSI
यॉर्क विश्वविद्यालय के कामरान सिद्दीकी ने कहा, “यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब कोविड-19 हमारे जीवन के सभी पक्षों को प्रभावित कर रहा है. तंबाकू चबाने से लार अधिक बनती है और इससे थूकना लाजमी हो जाता है जिससे वायरस के फैलने का खतरा है.” अध्ययन में कहा गया है कि धुआंरहित तंबाकू के सेवन से मुंह, श्वासनली और भोजन की नली में कैंसर होने से अकेले 2017 में नब्बे हजार से अधिक लोगों की मौत हुई. इसके अतिरिक्त दिल की बीमारी से 2,58,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
सिद्दीकी ने कहा कि विश्वभर में धुआंरहित तंबाकू से होने वाली बीमारियों में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की 70 फीसदी की भागीदारी है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा पाकिस्तान की सात प्रतिशत, और बांग्लादेश की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024 Date: हनुमान जयंती पर बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, जानें किन राशियो की होगी आर्थिक उन्नति
-
भारत के इस मंदिर में नहीं मिलती पुरुषों को एंट्री, यहां होते हैं कई तांत्रिक अनुष्ठान
-
Mars Transit in Pisces: 23 अप्रैल 2024 को होगा मीन राशि में मंगल का गोचर, जानें देश और दुनिया पर इसका प्रभाव
-
Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी से पहले जरूर करें 10 बार स्नान, सफलता मिलने में नहीं लगेगा समय