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क्या दोबारा प्रेग्नेंट हो सकती है प्रेग्नेंट महिला?

प्रेग्‍नेंट होते हुए क्‍या कोई महिला फिर से प्रेग्‍नेंट हो सकती है? यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन ऐसा संभव है. इस तरह की अवस्‍था को सुपरफिटेशन कहते हैं. ऐसे मामले बहुत कम देखने-सुनने को मिलते हैं लेकिन इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

Updated on: 22 Oct 2020, 03:50 PM

नई दिल्ली:

प्रेग्‍नेंट होते हुए क्‍या कोई महिला फिर से प्रेग्‍नेंट हो सकती है? यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन ऐसा संभव है. इस तरह की अवस्‍था को सुपरफिटेशन कहते हैं. ऐसे मामले बहुत कम देखने-सुनने को मिलते हैं लेकिन इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. सुपरफिटेशन का मतलब प्रेग्नेंसी शुरू होने के दौरान ही दूसरी प्रेग्नेंसी शुरू हो जाए. पहली प्रेग्नेंसी शुरू होने के कुछ दिनों बाद प्रेग्नेंट महिला के एग्स स्पर्म के संपर्क में आकर फिर से फर्टिलाइज हो जाते हैं और नई प्रेग्‍नेंसी शुरू हो जाती है. हालांकि दोनों प्रेग्‍नेंसी की डिलीवरी एक साथ या एक दिन ही होती है. सुपरफिटेशन से पैदा हुए बच्चों को जुड़वां माना जाता है.

आम तौर पर मछली, खरगोश जैसे कई जानवरों में सुपरफिटेशन होता है और महिलाओं में इसकी संभावना बहुत कम होती है. सुपरफिटेशन के अधिकांश मामले IVF ट्रीटमेंट लेने वाली महिलाओं के साथ होते हैं. दरअसल, स्पर्म से फर्टिलाइज्ड एग्स के जरिए प्रेग्नेंसी होती है और  सुपरफिटेशन में एक दूसरा एग फर्टिलाइज होकर गर्भ में अलग से प्रत्यारोपित हो जाता है.

प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का ओवुलेशन होने पर सुपरफिटेशन होता है. हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान निकलने वाले हार्मोन आगे के ओवुलेशन को रोक देते हैं. एक बार प्रेग्नेंसी होने के बाद गर्भाशय में दूसरे भ्रूण के लिए पर्याप्‍त जगह नहीं होती और इसलिए सुपरफिटेशन आसानी से संभव नहीं है.

IVF ट्रीटमेंट में फर्टिलाइज्ड भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया के कुछ हफ्तों बाद महिला ओवुलेट हो जाती है और उसके एग्स फर्टिलाइज्ड हो जाते हैं तो सुपरफिटेशन के हालात बन जाते हैं. 

सुपरफिटेशन के वैसे तो कोई खास लक्षण नहीं पाए गए है. चेकअप में डॉक्टर को ही पता चलता है कि गर्भ में जुड़वा भ्रूण का विकास हो रहा है. अल्ट्रासाउंड के दौरान दोनों भ्रूण की स्थिति दिखाई देती है. 

सुपरफिटेशन की स्‍थिति में बड़ी दिक्कत यह होती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चों का विकास अलग-अलग चरणों में होता है. जैसे पहली प्रेग्‍नेंसी वाले बच्‍चे की डिलीवरी का समय आ गया हो और दूसरा भ्रूण ठीक से ना बना हो तो दूसरे बच्चे के प्रीमैच्योर पैदा होने की आशंका होती है.

प्रीमैच्योर पैदा होने वाले बच्‍चों के सामने सांस लेने की दिक्कत, वजन कम होना, फीड करने में दिक्कत यहां तक कि ब्रेन हेमरेज जैसी मुश्‍किलों से भी जूझना पड़ सकता है. वहीं ऐसी स्‍थिति में प्रेग्नेंट महिला को भी हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्या से जूझना पड़ सकता है. इसलिए आम तौर पर डॉक्‍टर प्रेग्नेंसी में सेक्‍स करने से बचने की हिदायत देते हैं.