logo-image

देश में Covishield लगने के बाद 26 केस में रक्तस्राव और थक्के जमे, सरकारी समिति की रिपोर्ट में खुलासा

स्वास्थ्य मंत्रालय की राष्ट्रीय एईएफआई समिति की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि देश में कोविड टीकाकरण के बाद रक्तस्राव और थक्के जमने के मामले बहुत कम हैं.

Updated on: 18 May 2021, 07:58 AM

highlights

  • कोविशील्ड के दुष्प्रभाव पर रिपोर्ट से खुलासा
  • देश में 26 केस में रक्तस्राव और थक्के जमे
  • AEFI समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी

नई दिल्ली:

भारत में कोविड-19 महामारी के खिलाफ टीकाकरण के बाद दुष्प्रभावों को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की राष्ट्रीय एईएफआई समिति की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि देश में कोविड टीकाकरण के बाद रक्तस्राव और थक्के जमने के मामले बहुत कम हैं और यह देश में ऐसी स्थितियों के सामने आने की अपेक्षित संख्या के अनुरूप हैं. राष्ट्रीय एईएफआई समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक रिपोर्ट में खुलासा किया कि देश में थ्रोम्बोम्बोलिक के 26 संभावित मामले हैं. वहीं कोवैक्सीन को लेकर रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह टीका लगाने के बाद संभावित थ्रोम्बोम्बोलिक का एक भी मामला नहीं दर्ज किया गया.

यह भी पढ़ें : Corona Virus Live Updates : PM नरेंद्र मोदी आज जिलों के अफसरों के साथ बनाएंगे कोरोना के खिलाफ रणनीति 

मालूम हो कि कुछ देशों में 11 मार्च 2021 को, विशेष रूप से एस्ट्रा जेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (भारत में कोविशील्ड) के साथ, टीकाकरण के बाद 'रक्तस्राव और थक्के जमने की घटनाओं', को लेकर अलर्ट जारी किए गए हैं. वैश्विक चिंताओं को देखते हुए भारत में प्रतिकूल घटनाओं (एई) का तत्काल गहन विश्लेषण कराने का फैसला लिया गया था. राष्ट्रीय एईएफआई समिति ने उल्लेख किया है कि 3 अप्रैल 2021 तक टीके की 7,54,35,381 खुराक (कोविशील्ड- 6,86,50,819; कोवैक्सीन-67,84,562) लगाई गई हैं. इनमें 6,59,44,106 पहली खुराक और 94,91,275 दूसरी खुराक शामिल थीं.

राष्ट्रीय एईएफआई समिति की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से देश के 753 जिलों में से 684 जिलों में को-विन प्लेटफॉर्म के माध्यम से 23,000 से ज्यादा प्रतिकूल घटनाएं (एई) दर्ज की गई थीं. इनमें से सिर्फ 700 मामले ही गंभीर और जटिल प्रकृति के रूप में दर्ज किए गए थे. एईएफआई समिति ने गंभीर और जटिल घटनाओं वाले 498 मामलों की गहन समीक्षा पूरी की है, जिनमें से कोविशील्ड टीका लगने के बाद 0.61 मामलों/10 लाख खुराक की रिपोर्टिंग रेट के साथ 26 मामलों को संभावित थ्रोम्बोम्बोलिक घटना (रक्त वाहिका में थक्के का जमना, जो ढीला हो सकता है, रक्त प्रवाह के माध्यम से दूरी रक्त वाहिका तक जा सकता है) के रूप में दर्ज किया गया है.

यह भी पढ़ें : दिल्ली में कोरोना से मिली थोड़ी राहत, सिंगल डिजिट में आई पॉजीटिविटी रेट 

कोवैक्सीन टीका लगाने के बाद संभावित थ्रोम्बोम्बोलिक का एक भी मामला नहीं दर्ज किया गया है. भारत में एईएफआई के आंकड़ों ने दिखाया है कि यहां बेहद कम, लेकिन निश्चित तौर पर थ्रोम्बोम्बोलिक घटनाओं का जोखिम है. भारत में ऐसी शिकायतें दर्ज करने की दर (रिपोर्टिंग रेट) लगभग 0.61/10 लाख खुराक है, जो ब्रिटेन के चिकित्सा और स्वास्थ्य नियामक प्राधिकरण (एमएचआरए) की ओर से दर्ज किए गए 4 मामलों/10 लाख खुराक से बहुत कम है. जर्मनी ने प्रति 10 लाख खुराक पर ऐसी 10 घटनाएं दर्ज की हैं.

यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि थ्रोम्बोम्बोलिक की घटनाएं सामान्य आबादी में भी होती रहती हैं, जैसा कि परिस्थितियां और वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि यह जोखिम यूरोपीय मूल के व्यक्तियों की तुलना में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई मूल के व्यक्तियों में लगभग 70 प्रतिशत कम होता है. इस रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीका लगवाने वाले लाभार्थियों को अलग से सलाह जारी की ह, ताकि लोगों को किसी भी कोविड-19 वैक्सीन (विशेष रूप से कोविशील्ड) लगने के बाद 20 दिनों के भीतर होने वाले संदिग्ध थ्रोम्बोम्बोलिक लक्षणों के बारे में जागरूक होने और जिस स्वास्थ्य सेवा केंद्र पर टीका लगाया था.