बच्चों के लिए आई कोरोना वैक्सीन, इस देश ने दी आपातकालीन उपयोग की इजाजत
वैज्ञानिकों ने महामारी की तीसरी लहर आने की भी चेतावनी जारी की है. विशेषज्ञों के मुताबिक तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा होगा. इसे देखते हुए पूरी दुनिया अभी से सतर्क हो गई है. विशेषज्ञों के चेतावनी के बाद पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन का काम तेज कर दिया गया है.
highlights
- बच्चों को वैक्सीनेट करने वाला पहला देश बना अमेरिका
- अमेरिका ने फाइजर-बायोएनटेक के वैक्सीन को दी मंजूरी
- फाइजर के अलावा मॉडर्ना भी कर रही है ट्रायल
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर से भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. वैज्ञानिकों ने महामारी की तीसरी लहर आने की भी चेतावनी जारी की है. विशेषज्ञों के मुताबिक तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा होगा. इसे देखते हुए पूरी दुनिया अभी से सतर्क हो गई है. विशेषज्ञों के चेतावनी के बाद पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन (Vaccination) का काम तेज कर दिया गया है. दुनियाभर में कोरोना के चलते जारी तबाही के बीच अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने 10 मई को 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक के वैक्सीन (Pfizer Bionotech Vaccine) को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है.
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बच्चों को वैक्सीनेट करने वाला पहला देश बना अमेरिका
सामान्य स्थिति में वापसी के लिए सभी उम्र के बच्चों का टीकाकरण महत्वपूर्ण है. दुनिया भर में लगाये जा रहे अधिकांश COVID-19 टीके को वयस्कों के लिए ही अधिकृत हैं. फाइजर के टीका का उपयोग कई देशों में 16 वर्ष से कम उम्र के किशोरों के लिए किया जा रहा है और कनाडा हाल ही में 12 और उससे अधिक के उम्र के बच्चों को वैक्सीनेट करने वाला पहला देश बन गया है.
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने बड़ा फैसला लेते हुए बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक कोरोना वैक्सीन (Pfizer-BioNTech COVID Vaccine) के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी है. ये वैक्सीन किशोरों यानी कि 12-15 साल की उम्र वालों दी जाएगी. इस हफ्ते अमेरिका में 12 से 15 साल की उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है. एफडीए के कार्यवाहक आयुक्त जेनेट वुडकॉक ने इस कदम को कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम बताया.
2,000 लोगों पर की गई स्टडी
2,000 से अधिक अमेरिकी वॉलंटियर्स पर किये गये ट्रायल के आधार पर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि फाइजर वैक्सीन सुरक्षित है और 12 से 15 साल के किशोरों को मजबूत सुरक्षा देता है. फाइजर और इसके जर्मन पार्टनर बायोएनटेक ने हाल ही में यूरोपीय संघ में बच्चों के वैक्सीनेशन की अनुमति मांगी है. हालांकि Pfizer एकमात्र ऐसी कंपनी नहीं है जो अपने टीके के लिए आयु सीमा को कम करना चाहती है. मॉडर्ना ने हाल ही में 12 से 17 साल के बच्चों पर स्टडी की और इसमें पाया गया कि इनके वैक्सीन का बच्चों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं है.
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मॉडर्ना भी कर रही है ट्रॉयल
बता दें कि बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए फाइजर के अलावा मॉडर्ना (Moderna) भी ट्रायल कर रही है और जल्द ही उसके नतीजे भी सामने आ सकते हैं. खास बात यह है कि FDA ने दोनों कंपनियों के अब तक के नतीजों पर भरोसा जताया है. एक अन्य अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स की COVID-19 वैक्सीन है आखिरी चरण में है और उसने भी 12- से 17 साल के बच्चों पर स्टडी शुरू कर दी है.
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