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8 हफ्ते के बच्चे को 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन, इतना महंगा है इस बीमारी का इलाज

ब्रिटेन में महज 8 हफ्ते का एक बच्चा गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. इस बच्चे को जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) नाम की बीमारी है.

Updated on: 16 Dec 2020, 12:49 PM

लंदन:

ब्रिटेन में महज 8 हफ्ते का एक बच्चा गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. इस बच्चे को जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) नाम की बीमारी है. जिसका इलाज इतना महंगा है कि ज्यादातर लोगों के लिए भी इसे करा पाना नामुमकिन है. क्योंकि इसका इंजेक्शन दुनिया में सबसे महंगा है. हालांकि इस बच्चे को यह इंजेक्शन दिया जाएगा. इसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है. 16 करोड़ का एक इंजेक्शन सुनते ही आप जरूर सोच में पड़ जाएंगे कि दुनिया में ऐसी भी कोई बीमारी है, जो कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक है और जिसका इलाज इतना महंगा है.

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क्या होती है SMA बीमारी

सबसे पहले हम आपको जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) बीमारी के बारे में बताते हैं. यह बीमारी शरीर में एसएमएन-1 जीन की कमी से होती है. इस बीमारी में सीने की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. सांस लेने में भी परेशानी होती है. सबसे अहम बात यह है कि ये बीमारी ज्यादातर बच्चों को ही होती है. इलाज न मिल पाने की वजह से मरीजों की मौत भी हो जाती है.

3 साल पहले नहीं था बीमारी का इलाज

जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) बीमारी ब्रिटेन में ज्यादा है. वहां एक साल में पैदा होने वाले बच्चों में से 60 बच्चों में ये बीमारी होती है. फिलहाल इस बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन 3 साल पहले तक इस बीमारी का इलाज नहीं था. 2017 में काफी रिसर्च और टेस्टिंग के बाद इस बीमारी की इंजेक्शन बन पाया था, जिसका नाम जोलगेनेस्मा है. बाद में जोलगेनेस्मा इंजेक्शन का उत्पादन शुरू किया गया.

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ब्रिटेन में यह दवा नहीं बनती है. वहां इस इंजेक्शन को इलाज के लिए अमेरिका, जर्मनी या जापान से मंगाया जाता है. यह इंजेक्शन पीड़ित मरीज को सिर्फ एक बार दिया जाता है. इसी वजह से यह इतनी महंगी दवा है. इसके अलावा जोलगेनेस्मा इंजेक्शन उन 3 जीन थैरेपी में से एक है, जिसे यूरोप में इस्तेमाल करने की अनुमति है.

फिलहाल दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन जिस बच्चे को लगाया जाएगा उसका नाम एडवर्ड है. बच्चे के माता-पिता ने उसके इलाज के लिए क्राउड फंडिंग (मदद के लिए चंदा) के जरिए पैसा जुटा रहे हैं. उन्होंने इसके लिए मुहिम भी शुरू की है और अब तक उन्हें 1.17 करोड़ रुपये की मदद भी मिल चुकी है.