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9 से 22 दिसंबर तक भारत पहुंचे कोरोना संक्रमित सभी यात्रियों की होगी ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’

कोरोना वायरस के नए स्‍ट्रेन से सतर्क भारत सरकार ने तय किया है कि 9 से 22 दिसंबर तक भारत पहुंचे और Covid-19 पॉजीटिव पाए गए सभी अंतरराष्‍ट्रीय यात्रियों की जीनोम सीक्‍वेंसिंग की जाएगी.

Updated on: 30 Dec 2020, 06:18 AM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस के नए स्‍ट्रेन से सतर्क भारत सरकार ने तय किया है कि 9 से 22 दिसंबर तक भारत पहुंचे और Covid-19 पॉजीटिव पाए गए सभी अंतरराष्‍ट्रीय यात्रियों की जीनोम सीक्‍वेंसिंग की जाएगी. इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि कहीं ये लोग कोरोना वायरस के नए स्‍ट्रेन से संक्रमित तो नहीं हैं. केंद्र सरकार की ओर से जीनोम सीक्‍वेंसिंग पर जारी निर्देश के अनुसार, अन्य यात्रियों को राज्य और जिला निगरानी अधिकारी देखेंगे और उनके भारत पहुंचने के पांचवें से 10 वें दिन के बीच उनकी ICMR के दिशा-निर्देशों के मुताबिक जांच की जाएगी. भले ही उनमें कोई लक्षण दिखे या नहीं. 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देश में कहा गया है कि पिछले 14 दिन (9 से 22 दिसंबर तक) में भारत पहुंचे सभी अंतरराष्ट्रीय यात्री, यदि उनमें लक्षण हैं और संक्रमित पाए गए हैं तो उनका जीनोम सीक्वेंसिंग कराना अनिवार्य होगा. भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के मुताबिक, नवंबर 2020 में कुल 10.44 लाख अंतरराष्ट्रीय यात्री भारत आए और गए हैं. ब्रिटेन में पाया गया कोराना वायरस का नया स्‍ट्रेन अब तक डेनमार्क, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, कनाडा, जापान, लेबनान और सिंगापुर में भी मिल चुका है. 

स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रयोगशाला और महामारी निगरानी तथा देश में कोरोना वायरस की समूची ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ के विस्तार और यह समझने के लिए भारतीय ‘सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम’ स्थापित किया है कि वायरस का प्रसार किस तरह होता है एवं इसकी उत्पत्ति किस तरह होती है. भारत ने विषाणु के उत्परिवर्तित प्रकार का पता लगाने तथा इसे रोकने के लिए एक अग्र-सक्रिय रणनीति तैयार की है. इसमें 23 दिसंबर की मध्यरात्रि से 31 दिसंबर तक ब्रिटेन से आनेवाली सभी उड़ानों को अस्थायी रूप से रोकने और ब्रिटेन से लौटे सभी हवाई यात्रियों की आरटी-पीसीआर से जांच अनिवार्य करना शामिल है. 

केंद्र सरकार ने 10 क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं की पहचान की है जहां उनके कोविड-19 से संक्रमित पांच प्रतिशत नमूनों को ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ के लिए भेजा जाएगा जिससे कोरोना वायरस के नए प्रकार का पता लगाया जा सके. स्वास्थ्य मंत्रालय सार्स-कोव-2 के नए प्रकार के संदर्भ में निगरानी और प्रतिक्रिया के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पहले ही जारी कर चुका है. इस पहल का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि भारत पहुंचने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की उचित तरीके से जांच हो ताकि विषाणु के नए प्रकार का जल्दी पता चल सके. ब्रिटेन से भारत लौटे छह लोगों के नमूनों में अब तक सार्स-कोव-2 का नया प्रकार (स्ट्रेन) पाया गया है. 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि बेंगलुरू स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु विज्ञान अस्पताल (निमहांस) में जांच के लिए आए तीन नमूनों, हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) में दो नमूनों और पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) में एक नमूने में वायरस का नया प्रकार पाया गया. मंत्रालय ने कहा कि राज्य सरकारों ने इन सभी लोगों को चिह्नित स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में अलग पृथक-वास कक्षों में रखा है और उनके संपर्क में आए लोगों को भी पृथक-वास में रखा गया है.