logo-image

Alert: नए वेरिएंट पर कोरोना वैक्सीन असरदार, लेकिन एक डोज नाकाफी

वैज्ञानिकों ने एक शोध में दावा किया है कि इस वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन (Vaccine) की एक डोज़ काफी नहीं है.

Updated on: 23 May 2021, 09:05 AM

highlights

  • वायरस के नए वेरिएंट पर कोरोना वैक्सीन प्रभावी
  • एक शोध में माना गया कि एक डोज है नाकाफी
  • दो डोज के बाद नए वेरिएंट के खिलाफ होगी प्रभावी

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Corona Virus) की दूसरी लहर तबाही मचाए हुए है. हालांकि पिछले एक हफ्ते से कोरोना संक्रमण की रफ्तार में कुछ कमी जरूर आई है, लेकिन मौत के आंकड़े डराने वाले हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में मिला कोरोना का नया वेरिएंट बी.1.617.2 लोगों को तेज़ी से अपनी चपेट में ले रहा है. वैज्ञानिक इस वेरिएंट को बेहद खतरनाक बता रहे हैं. इस बीच वैज्ञानिकों ने एक शोध में दावा किया है कि इस वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन (Vaccine) की एक डोज़ काफी नहीं है. उनका मानना है कि कोरोना के इस वेरिएंट से बचने के लिए वैक्सीन की दो डोज़ बेहद जरूरी है. बता दें कि इससे पहले ये कहा जा रहा था कि वैक्सीन की एक डोज़ से भी कुछ हद तक वायरस के प्रभाव से बचा जा सकता है, लेकिन नए वेरिएंट के खिलाफ ऐसा नहीं है.

केंद्र को करनी पड़ सकती है नए सिरे से प्लानिंग
वैक्सीन के प्रभाव को लेकर ये स्टडी ब्रिटेन में की गई है. भारत में फिलहाल चल रहे टीकाकरण अभियान पर इसका असर पड़ सकता है. पिछले दिनों भारत सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच के अंतर को बढ़ाने का फैसला किया था. अब ये वैक्सीन भारत में 12-16 हफ्तों के बीच लगाई जा रही. ऐसे में कोरोना की नई वेरिएंट से बचने के लिए सरकार को नई प्लानिंग करनी पड़ सकती है. ब्रिटेन में शनिवार को सार्वजनिक की गई स्टडी के मुताबिक वैक्सीन की एक डोज़ कोरोना की वेरिएंट बी.1.617.2 के खिलाफ सिर्फ 33 फीसदी सुरक्षा देती है, जबकि दूसरी वेरिएंट बी.1.1.7 के खिलाफ वैक्सीन की एक डोज़ के बाद 51 परसेंट सुरक्षा मिलती है. ये आंकड़े ब्रिटेन के उन लोगों के हैं जिन्होंने फाइज़र और ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई है. गौरतलब है कि भारत में एस्ट्राजेनेका की ये वैक्सीन कोविशील्ड के नाम से लगाई जा रही है.

यह भी पढ़ेंः  तौकते के बाद 'खतरनाक' चक्रवाती तूफान यास को लेकर बंगाल-ओडिशा में अलर्ट

दो डोज़ के बाद असर
वैक्सीन की दो डोज़ लेने के बाद बी.1.617.2 के खिलाफ 81 फीसदी तक की सुरक्षा मिलती है. जबकि बी.1.1.7 के खिलाफ ये 87 प्रतिशत प्रभावी है. बता दें कि पिछले दिनों इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने अपने शोध की शुरुआती रिपोर्ट जारी की थी. इसके मुताबिक भारतीय वैक्‍सीन कोविशील्‍ड और कोवैक्सिन कोरोना वायरस के बी.1.617 वेरिएंट के खिलाफ कुछ ही एंटीबॉडी तैयार कर पा रही हैं, लेकिन ये वैक्‍सीन कोरोना के दूसरे वेरिएंट पर प्रभावी हैं.