देश में पहली बार सिर से जुड़े बच्चों को अलग करने की सर्जरी सफल, AIIMS में हुआ ये अनोखा ऑपरेशन
एम्स के डॉक्टर आपस में सिर से जुड़े ओडिशा के 28 महीने के ट्विन बेबी को अलग करने की दूसरे चरण की मैराथन सर्जरी में कामयाब रहे।
नई दिल्ली:
देश में अब तक सिर से जुड़े बच्चे की सर्जरी नहीं हुई है। एम्स के डॉक्टर आपस में सिर से जुड़े ओडिशा के 28 महीने के ट्विन बेबी को अलग करने की दूसरे चरण की मैराथन सर्जरी में कामयाब रहे।
एम्स के न्यूरोसर्जरी, न्यूरो-एनेस्थीसिया और प्लास्टिक सर्जरी विभागों के करीब 30 विशेषग्यों के दल सर्जरी करने में सफल रहे।
एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया, प्रक्रिया में विदेश का कोई विशेषग्य शामिल नहीं है। जुड़वां बच्चों को सुबह छह बजे ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया।
ओडिशा के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री प्रताप जेना ने कहा, '28 महीने के जुड़वां बच्चों जागा और कालिया को अलग करने की सर्जरी करीब 11 घंटे चली। दोनों बच्चें ठीक है। अलग होने की सर्जरी होने के बाद प्लास्टिक सर्जरी एक्सपर्ट्स कल 9-10 घंटे तक जुड़वां बच्चों की सर्जरी कल तक पूरी कर देंगे।'
सर्जरी का पहला चरण 28 अगस्त को संपन्न हुआ था जब डॉक्टरों ने दिमाग से दिल को रक्त वापस पहुंचाने वाली उनकी जुड़ी हुई रक्तनलिकाओं को अलग करने के लिए वीनस बाईपास बनाया था।
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बच्चों के पिता भुयान कन्हार ने सर्जरी से पहली कहा था कि जागा की हालत बिगड़ने की वजह से सर्जरी की जा रही है।
बच्चों को 13 जुलाई को एम्स में भर्ती कराया गया था।
ओडिशा सरकार ने बच्चों के उपचार के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से एक करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं।
एम्स के न्यूरोसाइंस सेंटर के प्रमुख डॉ ए के महापात्र ने पहले बताया था कि बच्चे जिस स्थिति से गुजरे है, वो 30 लाख में से एक बच्चे में होती है। इनमें से भी 50 प्रतिशत की या तो जन्म के समय या जन्म के 24 घंटे के अंदर मृत्यु हो जाती है।
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सिर में जुड़ने वाले जुड़वां 25 मिलियन में से एक होते हैं। लगभग 10 में से 4 ऐसे जुड़वां जन्म के साथ ही मर जाते हैं और अतिरिक्त तीन 24 घंटों के भीतर मर जाते हैं। 1952 से, दुनिया भर के ऐसे जुड़वाओं को अलग करने के लिए लगभग 50 प्रयास किए गए हैं, सफलता दर 25% से नीचे है।
ओडिशा सरकार की सिफारिश पर जग्गा व बलिया नामक जुड़वा बच्चों को एम्स में 14 जुलाई को भर्ती किया गया था। इनका उम्र मात्र 2 साल 3 महीने है।
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