कोरोना वायरस (Corona Virus) के प्रसार को रोकने के लिए भवनों के भीतर 40 प्रतिशत आर्द्रता जरूरी:स्‍टडी

भारत और जर्मनी के वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा है कि कोरोना वायरस (Corona Virus) के प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी (Social Distancing) और मास्क लगाने जैसे उपायों के साथ घर के भीतर आर्द्रता को नियंत्रित करना जरूरी है.

भारत और जर्मनी के वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा है कि कोरोना वायरस (Corona Virus) के प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी (Social Distancing) और मास्क लगाने जैसे उपायों के साथ घर के भीतर आर्द्रता को नियंत्रित करना जरूरी है.

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Sunil Mishra
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कोरोना को रोकने के लिए भवनों के भीतर 40% आर्द्रता जरूरी : स्‍टडी( Photo Credit : IANS)

भारत और जर्मनी के वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा है कि कोरोना वायरस (Corona Virus) के प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी (Social Distancing) और मास्क लगाने जैसे उपायों के साथ घर के भीतर आर्द्रता को नियंत्रित करना जरूरी है. दल में नयी दिल्ली स्थित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) के वैज्ञानिक भी शामिल हैं. वैज्ञानिकों ने कहा कि महामारी को फैलने से रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है कि अस्पताल, कार्यालय या सार्वजनिक वाहन के भीतर वायु में आर्द्रता के मानक तय किए जाएं क्योंकि ऐसी जगहों पर बहुत सारे लोग काम करते हैं. ‘एरोसोल एंड एयर क्वालिटी रिसर्च’ नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में वैज्ञानिकों ने मुख्य रूप से सापेक्षिक आर्द्रता को अध्ययन का मुख्य आधार बनाया है.

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अध्ययन के अनुसार, 40 से 60 प्रतिशत सापेक्षिक आर्द्रता होने से वायरस का प्रसार कम होता है और सांस द्वारा नाक के माध्यम से भीतर जाने की आशंका भी कम होती है. वैज्ञानिकों ने कहा कि बोलते समय मुंह से निकली पांच माइक्रोमीटर व्यास वाली बूंदें हवा में नौ मिनट तक तैर सकती हैं. जर्मनी के लिबनित्ज इंस्टिट्यूट फॉर ट्रोपोस्फरिक रिसर्च द्वारा प्रकाशित शोध पत्र के सह लेखक अजित अहलावत ने कहा, “एरोसोल अनुसंधान में हम बहुत पहले से जानते हैं कि वायु की आर्द्रता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. हवा में जितनी आर्द्रता होगी, उसके कणों से उतना अधिक पानी चिपका होगा इसलिए वह तेजी से बढ़ते हैं. इसलिए हम जानना चाहते थे कि इस पर कौन का अध्ययन हुआ है.”

वैज्ञानिकों के अनुसार, बूंदों में मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं पर आर्द्रता का प्रभाव पड़ता है. सतह पर मौजूद वायरस के जीवित रहने या निष्क्रिय होने को भी आर्द्रता प्रभावित करती है. उन्होंने कहा कि हवा द्वारा वायरस के प्रसार में भवन के भीतर सूखी हवा की भूमिका पर भी आर्द्रता का प्रभाव पड़ता है.

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वैज्ञानिकों ने कहा कि आर्द्रता अधिक होने पर बूंदें अधिक तेजी से बढ़ती हैं इसलिए जल्दी जमीन पर गिर जाती हैं और ज्यादा लोग उन्हें सांस के द्वारा भीतर नहीं ले पाते. सीएसआईआर-एनपीएल के वैज्ञानिक और शोधपत्र के सह लेखक सुमित कुमार मिश्रा ने कहा, “सार्वजनिक भवनों और स्थानीय परिवहन में कम से कम 40 प्रतिशत आर्द्रता का स्तर न केवल कोविड-19 के प्रभाव को कम करता है बल्कि वायरस जनित अन्य बिमारियों की आशंका को भी घटाता है.

अधिकारियों को भवनों के भीतर के दिशा निर्देश बनाते समय आर्द्रता पर भी ध्यान देना चाहिए.” अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि सूखी हवा में कण अधिक समय तक रह सकते हैं इसलिए भवन के भीतर न्यूनतम आर्द्रता का परिमाण तय होनी चाहिए.

Source : Bhasha

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