Cancer: कैंसर के इलाज का नया तरीका आया सामने, हेल्थ पर भी नहीं पड़ेगा बुरा असर

Cancer: कैंसर के इलाज के लिए अब नई तकनीक इजाद हुई है. इस तकनीक से कैंसर के सेल्स को खत्म नहीं बल्कि रिपेयर किया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर…

Cancer: कैंसर के इलाज के लिए अब नई तकनीक इजाद हुई है. इस तकनीक से कैंसर के सेल्स को खत्म नहीं बल्कि रिपेयर किया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर…

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Jalaj Kumar Mishra
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New Technique for Cancer treatment

New Technique for Cancer treatment (NN)

कैंसर…एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही हर कोई घबरा जाता है. कैंसर कभी धीरे-धीरे बढ़ता है तो कभी अचानक से शरीर पर हावी हो जाता है. अब तक कैंसर के इलाज में बिगड़े हुए सेल्स को जड़ से खत्म कर दिया जाता है लेकिन अब एक नई रिसर्च सामने आया है, जिसमें कैंसर सेल्स को दोबारा सामान्य सेल्स में बदला जा सके. 

पांरपरिक इलाज में थी कई मुश्किलें

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कैंसर के इलाज की बात करें तो कभी कीमोथेरेपी और रेडिएशन ही है, जिससे सेल्स को खत्म कर दिया जाता है. लेकिन कीमोथेरेपी और रेडिएशन से शरीर पर दुष्प्रभाव बहुत पड़ता है. इससे मरीजों में थकान, कमजोर इम्यून सिस्टम सहित अन्य बीमारियां मरीज को घेर लेती है. 

नई खोज है- REVERT तकनीक

लेकिन अब एक नई रिसर्च सामने आई है, जिसमें सेल्स की जीन गतिविधियों को मॉनिटर किया जाता और कंप्यूटर से साइमुलेट किया जाता है. इस मॉडल से ये पता चलता है कि कौन से जीन कैंसर सेल्स को नियंत्रित कर सकते हैं और कौन से नहीं. खास बात है कि इस टेक्निक से कैंसर सेल्स को खत्म करने की बजाए वापस सामान्य किया जा सकता है. वैज्ञानिकों ने इस टेक्निक का नाम REVERT रखा है. ये रिसर्च कोरिया के KAIST (Korea Advanced Institute of Science and Technology) के वैज्ञानिकों द्वारा की गई है. 

कोलोरेक्टल कैंसर पर हुआ टेस्ट

वैज्ञानिकों ने मरीजों के सैंपल पर REVERT टेक्निक का इस्तेमाल किया है. इसमे पाया गया कि MYC और YY1 नाम की जीन की जोड़ी ही कैंसर की दिशा तय करता है. इन्हें वैज्ञानिकों ने जब नियंत्रित किया तो कैंसर सेल्स दोबारा सामान्य सेल्स की तरह व्यवहार करने लगे. 

अब भविष्य में क्या उम्मीदें

खास बात है कि ये टेक्निक सिर्फ कोलोरेक्टल कैंसर ही नहीं बल्कि फेफड़े और ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों में भी उपयोगी हो सकती है. अगर REVERT तकनीक सफल होती है तो कैंसर मरीजों को कीमो और रेडिएशन जैसे कड़े इलाज की आवश्यकता है. इससे स्टेम सेल रिसर्च और रिजनरेटिव मेडिसिन में भी नई दिशा मिल सकती है. 

फिलहाल की स्थिति क्या है

बता दें, ये रिसर्च अब तक लैब तक ही सीमित है. इसे अब क्लिनिकल ट्रायल्स से गुजरना होगा. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि ये कैंसर इलाज में एक नया और सुरक्षित रास्ता खोल सकता है. पूरा रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल एडवांस्ड साइंस में पब्लिश हुआ है.  

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