हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. विशेषज्ञों की टीम ने खुलासा किया है कि कोरोना महामारी के दौरान नियमित वैक्सीनेशन की प्रभावित हुई रफ्तार के कारण दुनियाभर में 3 करोड़ से अधिक बच्चों पर खसरा (मीजल्स) रोग का जोखिम फिर से मंडराने लगा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में केवल 89% बच्चों को ही पहला एमएमआर टीका लगाया गया, जबकि जर्मनी में यह संख्या 96%, फ्रांस, इटली और जापान में 95% और अमेरिका और कनाडा में 92% थी.
टीकाकरण दरों में गिरावट
विशेषज्ञों के मुताबिक शिशु टीकाकरण दरों में गिरावट के कारण दुनियाभर में करोड़ों बच्चे गंभीर बीमारी और मृत्यु के बढ़ते खतरे का सामना कर रहे हैं. दरअसल, मीजल्स, मम्प्स और रूबेला (एमएमआर) वैक्सीनेशन में गिरावट के कारण ब्रिटेन सबसे ज्यादा प्रभावित देश माना जा रहा है. जहां बच्चों में खसरा के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
आंकड़ों के मुताबिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में 3 करोड़ से ज्यादा बच्चों को पूरी तरह से एमएमआर वैक्सीन नहीं लगाया गया है वहीं 1.43 करोड़ बच्चों को वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगी है. जिस ब्रिटेन को साल 2017 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मीजल्स फ्री घोषित कर दिया था, वहां इस रोग के मामले फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जताई चिंता
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दुनियाभर में खसरे के मामलों में लगातार बढ़ रहे हैं, ये स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ा जोखिम बनकर उभरता हुआ देखा जा रहा है. विशेषज्ञों की टीम कहती है, खसरा सबसे संक्रामक रोगों में से एक है. वैक्सीन कवरेज में मामूली गिरावट भी विनाशकारी उछाल ला सकती है. हर बच्चे की सुरक्षा के लिए, हमें हर देश में, हर जिले में वैक्सीनेशन कवरेज बढ़ाने की जरूरत है.
भारत के लिए चिंता
भारत कुछ दशकों पहले तक खतरा से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक रहा था, हालांकि टीकाकरण को बढ़ावा देकर इस रोग के जोखिमों को पिछले वर्षों में काफी कम कर दिया गया था. आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 से 2021 के बीच भारत में खसरे के मामलों में 62% की गिरावट आई, इस दौरान प्रति दस लाख जनसंख्या पर 10.4 से घटकर 4 मामले रह गए थे.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.