दवाएं बेअसर..! करोड़ों मौतें होने की आशंका, न्यूमोनिया, टायफाइड में काम नहीं कर रहे एंटीबायोटिक

बीमारियों को खत्म करने में एंटीबायोटिक दवाओं की अहम भूमिका होती है. हाल में एक चौंकाने वाली रिर्पोट सामने आई है. इसमें न्यूमोनिया, टायफाइड में सामान्य एंटीबायोटिक कर असर कम होने की बात कही गई है.

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Neha Singh
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Antibiotic drugs

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Antibiotics: लोग बीमारी से ठीक होने के लिए दवाइयां खाते हैं. लेकिन क्या होगा अगर ये दवाइयां ही उन लोगों पर असर करना बंद कर दें. ऐसी ही कुछ खतरे की घंटी इन दिनों लोगों पर मंडरा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्थिति में मरीज का इलाज करना मुश्किल हो जाता है. बीमारियों को खत्म करने में एंटीबायोटिक दवाओं की अहम भूमिका होती है. हाल में एक चौंकाने वाली रिर्पोट सामने आई है. इसमें न्यूमोनिया, टायफाइड में सामान्य एंटीबायोटिक कर असर कम होने की बात कही गई है. यह रिपोर्ट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएसआर) को और से जारी की गई है. 

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दवा का क्यों नहीं हो रहा असर

हाल ही में आई रिपोर्ट्स ने पता चला था कि दुनियाभर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस गंभीर स्थिति बनकर उभर रही है. इसकी मुख्य वजह से इलाज न होने की स्थिति में अगले 25 सालों में करीब 4 करोड़ लोगों की मौतें होने की आशंका है. ये पूरी दुनिया के लिए बेहद ही भयावह स्थिति है. 

वार्षिक रिपोर्ट में सामने आई बात 

आईसीएमआर के टीमकोर रेजिस्टेंस नेटवर्क (एएमआरएसएन) ने वार्षिक रिपोर्ट जारी की है. इसमें न्यूमोनिया, सेप्सिस, सांस में संक्रमण और डायरिया जैसी समस्या में इस्तेमाल होने वाली सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं पर फोकस किया गया है. 

बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक का असर

एक जनवरी 2023 से 31 दिसंबर, 2023 की अवधि पर आधारित साववी रिपोर्ट में भारत के सरकारी और निजी अस्पतालों और क्लिनिक से लिए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. ई. कोलाई, लेबसिएला न्यूमोनि, स्यूडोमोनास एरगिनोसा और स्टैफाइलोकोक्कस ऑरियस बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक का असर देखा गया. ये बैक्टीरिया शरीर के कई हिस्सों से लिए गए रक्त, यूरिन, सांस की नली और संक्रमणों के नमूनों में मिले थे. 

99,492 नमूनों पर किया गया शोध

यूरिनरी ट्रैक्ट फिक्शन (यूटीआई), खून में संक्रमण जैसी कुछ बीमारियों का इलाज कठिन हो रहा है. क्योंकि अब इन बीमारियों को पैदा करने वाले बैक्टीरिया पर सामान्य एंटीबायोटिक को असर नहीं हो रहा. शोध के लिए कुल 99,492 नमूने लिए गए. अध्ययन के दौरान चौंकाने वाली बात सामने आई है.

खेती में एंटीबायोटिक का दुरुपयोग

रिपोर्ट में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए तुरंत कार्रवाई का अनुरोध किया गया. रिपोर्ट के अनुसार खेती में एंटीबायोटिक का दुरुपयोग की भी अहम भूमिका है. इसके कारण बैक्टीरिया में प्रतिरोधी क्षमता बढ़ रही है. 

घट रहा है असर

रिपोर्ट के मुताबिक समय के साथ कई एंटीबायोटिक का असर कम हो रहा है. जैसे की जिस एंटीबायोटिक का असर 2017 में 56.7 फीसदी हो गया था 2023 में घटकर 42.4 फीसदी रह गया. 

जानिए क्या है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक ऐसी स्थिति है जहां ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से बैक्टीरिया उस दवा के प्रति इम्यून हो जाते हैं. कुछ समय बाद उनपर दवाओं का भी असर ही खत्म होने लगाता है. तब बैक्टीरिया को खत्म करना मुश्किल हो जाता है. इससे ये शरीर को दोगुनी तेजी से नुकसान पहुंचाते हैं. भारत के मेडिकल पैनल आईसीएमआर की लेटेस्ट रिपोर्ट में देश भर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को लेकर स्थिति और भी गंभीर हो गई है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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