आपकी सेहत के लिए कितना खतरनाक है फैटी लिवर, जानिए इसके लक्षण और इलाज

इन दिनों लोगों का खानपान और लाइफस्टाइल काफी ज्यादा खराब हो चुका है. जिसकी वजह से लोगों को फैटी लिवर की समस्या देखने को मिल रही है. यह बीमारी तब होती है जब लिवर में ज्यादा चर्बी जमा होने लगती है.

इन दिनों लोगों का खानपान और लाइफस्टाइल काफी ज्यादा खराब हो चुका है. जिसकी वजह से लोगों को फैटी लिवर की समस्या देखने को मिल रही है. यह बीमारी तब होती है जब लिवर में ज्यादा चर्बी जमा होने लगती है.

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Nidhi Sharma
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fatty liver

fatty liver Photograph: (Freepik)

जब भी लिवर में चर्बी ज्यादा जमा हो जाती है तो यह इंफ्लेमेशन पैदा करता है, जिससे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ता है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल (HDL) घटने लगता है. इससे दिल की धमनियों में ब्लॉकेज होने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या भी फैटी लिवर के कारण हो सकती है, जो आगे चलकर हार्ट को कमजोर बना देती है. फैटी लिवर का असर हार्ट से जुड़ी बीमारियों को ट्रिगर कर सकती है. 

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फैटी लिवर के लक्षण

फैटी लिवर के लक्षण बहुत धीरे- धीरे नजर आते हैं, लेकिन अगर आपको ये संकेत दिखें तो आपको अलर्ट हो जाने की जरूरत है. अगर आपको पेट के दाईं तरफ हल्का दर्द या भारपीन महसूस हो, हर समय सुस्ती और कमजोरी रहना, भूख कम लगना या खाना पचाने में दिक्कत, वजन तेजी से बढ़े या घटे तो यह फैटी लिवर की समस्या हो सकती है. अगर आपको ऐसे लक्षण नजर आएं तो आप डॉक्टर से जांच करवाएं. 

इन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक

फैटी लिवर का ज्यादा खतरा ऐसे लोगों को होता है जो मोटापे से परेशान होते हैं, डायबिटीज के मरीज हैं, जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं, जिनका खानपान बहुत अनहेल्दी है, जो लोग बिल्कुल भी एक्सरसाइज नहीं करते उनमें फैटी लिवर होने का खतरा अधिक रहता है. ऐसे में आपको तुरंत अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करने की जरूरत है.

इस दौरान होती है ज्यादा खतरनाक

एक्सपर्ट के मुताबिक फैटी लीवर की ​स्थिति जब एनएएसएच की ओर बढ़ती है, तो खतरनाक हो जाती है. इस ​स्थिति में इंफ्लेमेशन के साथ लिवर को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है. इसके चलते फाइब्रोसिस और सिरोसिस का रिस्क बढ़ जाता है. डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे लोगों में ये ​स्थिति और गंभीर हो सकती है.

कैसे करें बचाव

वेट लॉस

शरीर का वेट 10% कम करने से भी बॉडी के हेपेटिक फैट और इंफ्लेमेशन में काफी कमी आ सकती है. 

डाइट चेंज 

खाने में फल, सब्जी, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन का सेवन करें. जबकि सैचुरेटेड फैट और शुगर से दूरी बनाएं.

रेगुलर एक्सरसाइज

हेपेटिक फैट कम करने के साथ मोटाबाॅलिक फंक्शन इंप्रूव करने में मदद मिलती है.

को- मॉर्बिडिटी 

डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाइपरलिपिडिमिया जैसी ​स्थिति को कंट्रोल कर डिजीज के बढ़ने के रिस्क को कम किया जा सकता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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