इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज, हो सकता है ओवेरियन कैंसर

महिलाओं में होने वाला ओवेरियन कैंसर एक साइलेंट किलर है, जिसके लक्षणों को नजरअंदाज करना आप पर भारी पड़ सकता है. हालांकि इस कैंसर के शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं.

महिलाओं में होने वाला ओवेरियन कैंसर एक साइलेंट किलर है, जिसके लक्षणों को नजरअंदाज करना आप पर भारी पड़ सकता है. हालांकि इस कैंसर के शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं.

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Nidhi Sharma
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Ovarian Cancer

Ovarian Cancer Photograph: (Freepik)

कैंसर एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है. जिसके कई प्रकार होते हैं. इन कैंसर में से ही एक कैंसर महिलाओं में होने वाला ओवेरियन कैंसर है. जिसे की साइलेंट किलर यानी की चुपचाप नुकसान पहुंचाने वाला कैंसर भी कहा जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं या दिखते ही नहीं है. यह कैंसंर ओवरीज में होता है. इसकी खतरनाक बात यह है कि शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण साफ नहीं होते हैं. जिसका असर देर से पता चलता है. आइए आपको इसके लक्षण और बचाव के बारे में बताते है. 

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क्या है इसके लक्षण

पेट में सूजन 

अगर बिना किसी खास वजह के पेट लगातार फूला हुआ महसूस होता है या फिर सूजन बनी रहे,  तो यह ओवेरियन कैंसर का संकेत हो सकता है. हालांकि कई महिलाएं इसे गैस या पाचन समझकर नजरअंदाज कर देती हैं. 

पेल्विक में दर्द 

पेट के निचले हिस्से या पेल्विक एरिया में आपको लगातार दर्द या भीरापन महसूस होता है तो यह ओवेरियन कैंसर का एक लक्षण है. यह दर्द पीरियड्स से अलग होता है और बढ़ता रहता है. 

जल्दी पेट भर जाना 

अगर बिना खाना खाए पेट ज्यादा भरा हुआ लगे या फिर भूख कम लगे, तो समझ जाएं कि यह ओवेरियन कैंसर के लक्षण है. 

बार-बार पेशाब

अगर बिना किसी इन्फेक्शन के बार-बार पेशाब आने की समस्या हो रही है, तो यह ओवेरियन कैंसर का संकेत हो सकता है. 

वेजाइनल ब्लीडिंग

अगर मेनोपॉज के बाद अगर वेजाइनव ब्लीडिंग हो या पीरियड्स अनियमित हों तो यह ओवेरियन कैंसर का लक्षण हो सकता है. हालांकि यह  हार्मोनल समस्याओं का भी संकेत हो सकता है. 

प्रेग्नेंसी से क्या है कनेक्शन

गर्भधारण करने या ना करने पर ओवेरियन कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है. हर महीने होने वाला ओवुलेशन अंडाशयों पर तनाव डालता है. वहीं लंबे टाइम तक ऐसा होने पर कोशिकाओं में बदलाव की संभावना बढ़ती है. गर्भावस्था और स्तनपान से ओवुलेशन में ब्रेक आता है, जिससे अंडाशयों को आराम मिलता है और वो सुरक्षित रहते हैं.

कैसे करें बचाव

हल्के लक्षण को अनदेखा ना करें. 

हर 6 से 12 महीने में गायनोकॉलोजिस्ट से चेकअप कराएं. 

वहीं अगर परिवार में कैंसर का इतिहास है तो डॉक्टर से जांच कराएं. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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