इस बात को कई फीमेल्स मानती हैं कि जो लड़कियां साथ में ज्यादा वक्त बिताती हैं उनके पीरियड की डेट भी सेम हो जाती है. पीरियड सिंकिंग को मेंस्ट्रुअल सिंक्रॉनी, मॅकक्लिंटॉक इफेक्ट (McClintock effect) भी कहते हैं. कई महिलाओं की यह एक आम धारणा होती है कि अगर वह लंबे समय तक वह अपनी दोस्त के साथ हॉस्टल, पीजी या फ्लैट में रहती है तो उनका पीरियड साइकिल एक जैसा हो जाता है. हालांकि यह महिलाओं का कहना होता है, लेकिन इसे लेकर सांइस में कई अन्य बातें भी जुड़ी हुई हैं.
पीरियड डेट मैच
माना जाता है कि जब एक महिला दूसरी ऐसी महिला के संपर्क में आती है, जिनको पीरियड हो रहा हो तो दोनों को मेन्स्ट्रुअल साइकल मैच करने लगती है. ऐसा इसलिए होता है कि शरीर से निकलने वाले फेरोमोन्स (एक तरह के बॉडी केमिकल) की वजह से होता है. यानी महिलाएं अगर यह मानती हैं कि वाकई उनकी पीरियड डेट मैच करने लगती है तो सही है. हालांकि मेडिकल लिटरेचर के पास ऐसा कोई सॉलिड प्रूफ नहीं जो यह बात साबित कर सके.
रिसर्च की गई
पीरियड डेट मैच करने वाली बात सदियों से महिलाओं के बीच है लेकिन मेडिकल साइंस ने एक रिसर्च के बाद इस पर बात करनी शुरू की. मार्था मॅकक्लिंटॉफ नाम की रीसर्चर ने 135 कॉलेज जाने वाली लड़कियों पर शोध किया. उनको साथ रखा गया इसके बाद उनकी साइकल्स सिंक हो गई. स्टडी में बाकी फैक्टर्स नहीं देखे गए बस यह देखा गया कि उनकी मंथली ब्लीडिंग कब शुरू हुई. पता लगा कि महिलाओं की पीरियड डेट वाकई एक सी हो गई. इसके बाद से ही इसे मॅकक्लिंटॉक इफेक्ट कहा जाने लगा.
स्टडी में यह आया सामने
इसके बाद कई और स्टडीज में यह बात सामने आई कि साथ रहने से महिलाओं की पीरियड डेट सिंक हो जाती है. वहीं 2017 में हुई एक स्टडी में पता लगा कि 44 फीसदी पार्टिसिपेंट्स के पीरियड्स में सिंक्रॉनी पाई गई. यहां तक कि पीरियड सिंपटम्स जैसे मेंस्ट्रुअल माइग्रेन पर भी साथ रहने का असर पड़ा. इससे यह साबित होती है कि महिलाए बस एक-दूसरे की पीरियड डेट ही नहीं इससे कहीं ज्यादा प्रभावित करती हैं.
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