New Update
/newsnation/media/media_files/2024/10/18/hN3Vzoa2WqQpsvjbbyal.jpg)
protein
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
कनाडा के मैकमास्ट विश्वविद्यालय की टीम इस शोध पर काम कर रही है, शोध की अगुवाई प्रोफेसर भगवती गुप्ता कर रहे हैं
protein
उम्र संबंधी बीमारियों को लेकर अब खोज हो रही है. इस संबंध में भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक की अगुवाई में शोधकर्ताओं की एक टीम ने प्रोटीन के नए फंक्शन की खोज की है. यह काम कर रही है कनाडा के मैकमास्ट विश्वविद्यालय की टीम इस शोध पर काम कर रही है. वह प्रोटीन की अज्ञात कोशिका-सुरक्षात्मक कार्य को खोज रही है. यह उम्र संबंधी बीमारियों के इलाज में नए रास्ते को खोल रही है. बुढ़ापे के वक्त शख्स को स्वस्थ बनाए रखने को लेकर काम करता है.
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में जानकारी दी गई है कि कोशिकाएं प्रोटीन को गलत तरीके से बना सकती ह. इससे सफाई प्रक्रिया बाधित हो जाती है. इसके परिणाम में प्रोटीन एक साथ चिपक जाते हैं. इससे हानिकारक जमाव हो सकता है. ये अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों को जन्म देती है.
इस शोध की अगुवाई प्रोफेसर भगवती गुप्ता कर रहे हैं. उनका कहना है कि प्रोटीन इकट्ठा होने से अगर कोशिकाएं तनाव का अनुभव करती हैं तो एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम को इन प्रोटीनों को बनाना बंद करने का संकेत मिल जाता है. शोध टीम के अनुसार, एमएएनएफ नामक सुरक्षात्मक प्रोटीन का एक वर्ग कोशिकाओं को कुशल और स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका अदा करता है. पहले के अध्ययनों से सामने आया है कि एमएएनएफ कोशिकीय तनाव को कम करने में सहायक हैं.
टीम ने यह समझने का प्रयास किया है कि किस तरह यह प्रक्रिया संभव हो पाती है. इसे लेकर उन्होंने सी. एलिगेंस नामक सूक्ष्म कृमियों का गहराई से अध्ययन किया. इसमें सी. एलिगेंस में एमएएनएफ की मात्रा को लेकर कम ज्यादा होने को लेकर एक प्रणाली को तैयार किया.
टीम ने इस मामले में यह देखा कि किस तरह से एमएएनएफ कोशिकाएं काम करती हैं. यहीं कोशिकाएं स्वस्थ और अव्यवस्था को दूर करने मददगार होती हैं. ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में पोस्ट-डॉक्टरल फेलो शेन टेलर ने कहा, एमएएनएफ मनुष्यों सहित सभी जानवरों में है. हम मौलिक और यांत्रिक विवरण सीख रहे हैं, जिन्हें बाद में उच्च प्रणालियों में परखा जा सकता है.
गुप्ता ने कहा कि खोज से पता चलता है कि इसका उपयोग मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों को प्रभावित करने वाली बीमारियों के उपचार में हो सकता है. ये कोशिकीय प्रक्रियाओं को लक्षित करके, कोशिकाओं में इन विषाक्त गांठों को साफ करके और उनके स्वास्थ्य को बनाए रखकर किया जाता है.