त्वचा की गंभीर बीमारी सोरायसिस अब आयुर्वेद से भी पूरी तरह ठीक की जा सकती है. पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इस दिशा में बड़ी सफलता हासिल करते हुए साबित किया है कि प्राकृतिक औषधियों से भी इस पुरानी बीमारी का प्रभावी इलाज संभव है. सोरायसिस एक जटिल और पुराना रोग है, जिसमें त्वचा पर लाल चकत्ते और चांदी जैसी चमकदार परतें बन जाती हैं.
ऐसे किया गया प्रयोग
यह स्थिति तेज़ खुजली और असहनीय जलन के साथ होती है. अब तक एलोपैथिक चिकित्सा में केवल लक्षणों को दबाने का प्रयास किया जाता था, जिससे मरीजों को अस्थायी राहत मिलती थी और दवाओं के दुष्प्रभाव भी सामने आते थे. लेकिन अब पतंजलि आयुर्वेद की रिसर्च ने इस सोच को बदल दिया है.
संस्थान के वैज्ञानिकों ने सोरायसिस के दो प्रीक्लिनिकल मॉडल इमिक्विमोड और टीपीए के जरिए चूहों में रोग उत्पन्न किया और इसके बाद उन्हें Psorogrit टैबलेट और Divya Taila का उपचार दिया. यह दवा चूहों को मुंह के जरिए दी गई और तेल को त्वचा पर लगाया गया. कुछ ही समय में चूहों की त्वचा पर बीमारी के लक्षणों में स्पष्ट और सकारात्मक सुधार देखा गया.
करोड़ों सोरायसिस पीड़ितों के लिए उम्मीद की किरण
इस शोध को वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त टेलर एंड फ्रांसिस प्रकाशन समूह के Journal of Inflammation Research में प्रकाशित किया गया है, जिससे इसकी वैज्ञानिक मान्यता को बल मिला है. पतंजलि का यह शोध न केवल आयुर्वेद की वैज्ञानिकता को सिद्ध करता है, बल्कि करोड़ों सोरायसिस पीड़ितों के लिए एक नई उम्मीद भी बनकर सामने आया है. यह अध्ययन दर्शाता है कि यदि पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक विधियों से जोड़ा जाए, तो गंभीर रोगों का समाधान भी संभव है.
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