World Organ Donation Day 2017: हार्ट और इन्टेस्टाइन समेत इन अंगों का हो सकता है ट्रांसप्लांट
अंग के रूप में लीवर, किडनी, हृदय, आंत, फेफड़ा और अग्नाशय का दान किया जा सकता है।
नई दिल्ली:
ट्रांसप्लांट आसान प्रक्रिया नहीं होती है। सबसे ज्यादा समस्या शरीर में स्वीकार होने वाले अंग के मिलने की होती है। परिवार के किसी सदस्य का अंग हो तो शरीर को उसे अपनाने में आसानी होती है। अंग के रूप में लीवर, किडनी, हृदय, आंत, फेफड़ा और अग्नाशय का दान किया जा सकता है। आज हम आपको बता किस स्थिति में अंगों का दान किया जा सकता है।
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यह एक ऐसा अंग होता है जो आपके शरीर में ब्लड पंप करने में मदद करता है। जिन लोगों को दिल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होता है, उनका हार्ट ट्रांसप्लांट किया जाता हैं। कई बार नवजात शिशुओं के हार्ट में परेशानी होने के कारण भी ट्रांसप्लांट किया जाता है। हार्ट ब्रेनडेड होने पर दान किया जा सकता है। जिंदा हार्ट मृत शरीर से निकालकर 4 घंटे तक आइस में सुरक्षित रखा जाता है।
लीवर को जिंदा रहते हुए भी दान किया जा सकता है। लीवर हमारे शरीर का एक मुख्य अंग होता है। जो शरीर में मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। यह पाचन और इससे संबंधित समस्त क्रियाओं को नियंत्रित करता है। यह शरीर में रक्त की आपूर्ति का एक प्रमुख आधार है। लीवर फेल हो जाने, सिरोसिस या कैंसर की स्थिति में ट्रांसप्लांट किया जाता है। लीवर को 6-8 घंटों के भीतर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
हमारे शरीर दो किडनी होती है। हालांकि एक स्वस्थ आदमी के लिए एक किडनी पर भी जीवन बिताया जा सकता है। ऐसे में किडनी भी एक ऐसा अंग है जो जिंदा रहते हुए दान किया जा सकता है। किडनी का मुख्य काम रक्त को साफ करना और पेशाब के जरिए सारे टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालना होता है। किडनी सबसे ज्यादा ट्रांसप्लाट होने वाला अंग है। किडनी को 24-48 घंटों के भीतर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
लंग्स हमारी छाती में स्पंज की तरह शंकु के आकार की जोड़ी होती है। हमारी श्वांस नली इसी से जुड़ी होती है। यह वातावरण से ऑक्सीजन लेकर रक्त परिसंचरण में प्रवाहित करता है और रक्त से कार्बनडाई ऑक्साइड निकालकर वातावरण में छोड़ता है। इसका ट्रांसप्लाट ज्यादातर मृत डोनर ही करते है। बहुत ही कम मामलों में जीवित रहते हुए दान किया जाता है। लंग ट्रांसप्लांट सिस्टिक फाइब्रोसिस, सीओपीडी और वातस्फीति जैसे रोगों मे होता है। लंग्स को 4 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करा जा सकता है।
हमारे पेट में लंबी, बिना किसी आकार की ग्लैंड होती है, जिन्हें पैनक्रियाज कहते है।जो प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और फैट को पचाने में मदद करती है। अग्नाशय ट्रांसप्लांट टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों का होता है। इसका ट्रांसप्लाट ज्यादातर मृत डोनर ही करते है। बहुत ही कम मामलों में जीवित रहते हुए दान किया जाता है। पैनक्रियाज को 12 घंटों के भीतर ही ट्रांसप्लांट करा जा सकता है।
इन्टेस्टाइन का ट्रांसप्लांट दो तरह से हो सकता है। इसे लाइव डोनर और मस्तिष्क मृत शरीर से भी लिया जा सकता है। इन्टेस्टाइन मानव पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है जो आमाशय से आरम्भ होकर बड़ी आंत पर पूर्ण होती है और जहाँ भोजन का सबसे अधिक पाचन और अवशोषण होता है। इसको 6-12 घंटों के भीतर ही ट्रांसप्लांट करा जा सकता है। इन्टेस्टाइन का ट्रांसप्लांट आसान नहीं होता है।
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