logo-image

#YearEnd 2017: बच्चों और बूढ़ों को तेजी से गिरफ्त में ले रहा डिप्रेशन, #letstalk से दूर करें तनाव

दुनिया भर में लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस पर संयुक्त राष्ट्र ने 'डिप्रेशन' विषय की ओर ध्यान केंद्रित किया है।

Updated on: 27 Dec 2017, 08:50 AM

नई दिल्ली:

'हेल्थ इज वेल्थ' अच्छी सेहत ही सबसे बड़ा धन है। दुनिया भर में लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस पर संयुक्त राष्ट्र ने 'डिप्रेशन' विषय की ओर ध्यान केंद्रित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) डिप्रेशन पर एक साल का कैंपेन लीड कर रहा है।

इस कैंपेन का उद्देश्य है कि दुनिया भर में जितने भी लोग डिप्रेशन का शिकार है उनकी सहायता करना। इस साल की थीम 'डिप्रेशन: lets talk' है।

दुनिया में तेजी से बढ़ता डिप्रेशन का ग्राफ बेहद चिंताजनक है। न सिर्फ बड़े बल्कि बच्चे भी डिप्रेशन की गिरफ्त में है।

भारत में 6 करोड़ लोग मनोरोग एवं अवसाद से ग्रस्त हैं, यह चिंता की बात है। WHO के अनुमानों के मुताबिक दुनियाभर में 30 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन से ग्रस्त हैं। डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों की संख्या 2005 से 2015 के दौरान 18 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है।

डिप्रेशन बढ़ने पर यह आत्महत्या के लिए मजबूर कर देता है जिसकी वजह से हर साल हजारों की संख्या में लोगों की मौत होती है। कभी -कभी जब तनाव बहुत ज्यादा बड़ जाता है तो वह डिप्रेशन का रूप ले लेता है।

डिप्रेशन से उभरने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन सम- समय पर जागरूक करता है। डिप्रेशन कोई लाइलाज बीमारी नहीं है लेकिन अगर इसे नजरअंदाज करना भी ठीक नहीं है।

डिप्रेशन में दिमाग में नकारात्मक सोच बढ़ने लगती है। डिप्रेशन बूढ़े या ज्यादा उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ता है।

अकेले रहना, दूसरों के साथ न घुलना- मिलना, ज्यादातर अकेले रहना, दूसरों पर निर्भर रहना डिप्रेशन के कारणों की तरफ इशारा करते है। डिप्रेशन लाइलाज नहीं है।

बढ़ता तनाव और डिप्रेशन जिंदगी खत्म करने को भी मजबूर करता है। जिंदगी से उम्मीद का गायब होना एक ऐसी राह पर ले जाती है जहां लोग अपनी जिंदगी खत्म करने जैसा फैसला कर बैठते है।

WHO के मुताबिक दुनियाभर में हर साल करीब 8 लाख लोग आत्मत्या जैसा कदम उठा कर अपनी जिंदगी खत्म कर लेते है।

भारत की गिनती उन देशों में की जाती है जहां खुदकुशी की दर सबसे ज्यादा है। दुनियाभर में 15 से 29 साल के लोगों के बीच आत्महत्या करते है। 78% वैश्विक आत्महत्याएं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।

डिप्रेशन लाइलाज नहीं है। डिप्रेशन से निकलने के लिए बात करें और अपनी परेशानियों के बारे में अपने करीबी, परिजन, दोस्त, डॉक्टर के साथ बात करें।