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आसमान से बरसती आग के बीच गर्मी की तपन से ऐसे रखें खुद को सुरक्षित

देश में विभिन्न राज्‍यों में प्रचंड गर्मी का कहर जारी है. उत्तर भारत के कई जगहों पर यह 50 डिग्री के आसपास बना रहा.

Updated on: 12 Jun 2019, 06:27 AM

नई दिल्‍ली:

देश में विभिन्न राज्‍यों में प्रचंड गर्मी का कहर जारी है. उत्तर भारत के कई जगहों पर यह 50 डिग्री के आसपास बना रहा. इस गर्मी से फिलहाल कोई राहत मिलने की संभावना नहीं है. देश में सोमवार को राजस्थान के चुरू में अधिकतम तापमान 50.3 डिग्री, उत्तर प्रदेश के बांदा में तापमान 49.2 डिग्री सेल्सियस, इलाहाबाद में 48.9, राजस्थान के श्रीगंगानगर में 48.5 और हरियाणा के नारनौल में 48.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. सूरज के तेवर को देखते हुए बच्चों, बुजुर्गो और पहले से बीमार लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. गंभीर गर्मी के संपर्क में आने से शरीर में ऐंठन, थकावट और हीट-स्ट्रोक सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए खूब पानी पिएं, ताकि शरीर 'हाइड्रेटेड' रहे.

नैदानिक रूप से, गर्मी से होने वाली थकावट और हीट स्ट्रोक दोनों बुखार, निर्जलीकरण और अन्य लक्षणों जैसे सिरदर्द, प्यास, मतली या उल्टी, तेजी से नाड़ी आदि के रूप में प्रकट हो सकते हैं. थकावट और हीट स्ट्रोक के बीच मुख्य अंतर यह है कि हीट स्ट्रोक में पसीना नहीं निकलता है.

कुछ जरूरी सावधानियां 

इस बारे में पद्म अवार्डी, डॉ. के के अग्रवाल, अध्यक्ष, एचसीएफआई ने कहा, "हीट स्ट्रोक में, तापमान बहुत अधिक होता है, और कुछ ही मिनट के अंदर इसे कम करने की आवश्यकता होती है. नम स्पंज के उपयोग से ठंटे या टैपिड स्नान की मदद से ऐसा किया जा सकता है. हालांकि, पानी में गहरे जाने या कूलिंग ब्लेंकेट के उपयोग से बचें. कुछ सावधानियां जरूरी हैं, जैसे पसीना आना, शुष्क बगल, 8 घंटे तक मूत्र न आना या गर्मियों में उच्च बुखार होना. यदि ये लक्षण प्रकट होते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें. इस मौसम में सावधानी बरतनी चाहिए. जिन लोगों को तरल या नमक लेने पर प्रतिबंध है या जो मूत्रवर्धक दवा ले रहे हैं, उन्हें तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए. "

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डॉ. अग्रवाल, जो आईजेसीपी के ग्रुप एडिटर-इन-चीफ भी हैं, ने आगे कहा, "ज्येष्ठ (यानी मई) का महीना पानी के संरक्षण, जल स्वच्छता बनाए रखने और लोगों को जल दान करने के लिए जाना जाता है. शौचालय जाने के बाद हाथ धोना, स्नान करना और नियमित रूप से कपड़े और बर्तन धोना भी महत्वपूर्ण है. स्वच्छता की अनुपस्थिति में, कोई व्यक्ति डायरिया, टाइफाइड और पीलिया से पीड़ित हो सकता है. गर्मी के विकारों से बचने के लिए, सुनिश्चित करें कि आपका शरीर पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड रहे. "

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गर्मियों के दौरान हर किसी के लिए एक मेडिकल व्रत का महत्व रेखांकित किया जाना चाहिए. व्रत का सबसे सरल तरीका यह हो सकता है कि हफ्ते में एक बार काबोर्हाइड्रेट नहीं खाया जाए और सिर्फ फलों व सब्जियों का सेवन किया जाए.

ग्रीष्मकाल में एचसीएफआई के कुछ सुझाव :-

  • तापमान अधिक होने पर धूप में लंबे समय तक रहने से बचें. यदि आपको बाहर जाने की आवश्यकता है तो छतरी का उपयोग करें. गर्मी के अवशोषण से बचने के लिए हल्के सूती कपड़े पहनें.
  • सुनिश्चित करें कि आप गर्मी में बाहर निकलने से पहले ठीक से हाइड्रेटेड हैं. गर्मियों में पानी की आवश्यकता सर्दियों के मुकाबले 500 मिलीलीटर अधिक है. समर ड्रिंक्स को ताजा और ठंडा होना चाहिए जैसे कि पन्ना, खसखस, गुलाब जल, नींबू पानी, बेल शरबत और सत्तू का शरबत आदि.
  • किसी भी पेय में 10 प्रतिशत से अधिक चीनी होने पर वो सॉफ्ट ड्रिंक बन जाता है और उससे बचना चाहिए. आदर्श रूप से, चीनी, गुड़ या खांड का प्रतिशत 3 होना चाहिए, जोकि ओरल रिहाइड्रेशन ड्रिंक में होता है.
  • 8 घंटे में कम से कम एक बार मूत्र आने का मतलब है कि हाइड्रेशन ठीक से हो रहा है. यदि आप गर्मी में ऐंठन महसूस करते हैं, तो चीनी और नमक के साथ नींबू पानी का खूब सेवन करें.