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जब किचन में हैं ये दवाएं तो स्‍वाइन फ्लू से क्‍या डरना, जानिए कैसे करें बचाव

स्वाइन फ्लू में बुखार (Fever), खांसी(Cough), गले में खराश, नाक बहना(flu), मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द (headache), ठंड और कभी-कभी दस्त (Loose motion) और उल्टी (Vomiting) के साथ आता है.

Updated on: 31 Jan 2019, 04:22 PM

नई दिल्‍ली:

राजस्थान, हिमाचल के बाद दिल्ली में भी स्वाइन फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले महीने राजधानी दिल्ली में स्वाइन फ्लू के 500 मामले सामने आ चुके हैं. 28 जनवरी तक 18 लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई. स्वाइन फ्लू में बुखार(Fever), खांसी (Cough), गले में खराश, नाक बहना (flu), मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द (headache), ठंड और कभी-कभी दस्त (Loose motion) और उल्टी (Vomiting) के साथ आता है. हल्के मामलों में, सांस लेने में परेशानी नहीं होती है. लगातार बढ़ने वाले स्वाइन फ्लू (Swine Flu) में छाती में दर्द के साथ उपरोक्त लक्षण, श्वसन दर में वृद्धि, रक्त में ऑक्सीजन की कमी, कम रक्तचाप, भ्रम, बदलती मानसिक स्थिति, गंभीर निर्जलीकरण और अस्थमा, गुर्दे की विफलता, मधुमेह, दिल की विफलता, एंजाइना या सीओपीडी हो सकता है.

गर्भवती महिलाओं में, फ्लू भ्रूण की मौत सहित अधिक गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है. हल्के-फुल्के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन गंभीर लक्षण होने पर मरीज को भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है.

बचाव कीजिए 

  • खांसी, जुकाम, बुखार के रोगी दूर रहें.  दही का सेवन नहीं करें, छाछ ले सकते हैं. खूब उबला हुआ पानी पीयें व पोषक भोजन व फलों का उपयोग करें.  
  • सर्दी-जुकाम, बुखार होने पर भीड़भाड़ से बचें एवं घर पर ही रहकर आराम करते हुए उचित (लगभग 7-9 घंटे) नींद लें.
  • आंख, नाक, मुंह को छूने के बाद किसी अन्य वस्तु को न छुएं व हाथों को साबुन/ एंटीसेप्टिक द्रव से धोकर साफ करें.
  • खांसते, छींकते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रखें.
  • सहज एवं तनावमुक्त रहिए. तनाव से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है.
  • स्टार्च (आलू, चावल आदि) तथा शर्करायुक्त पदार्थों का सेवन कम करिए. इस प्रकार के पदार्थों का अधिक सेवन करने से शरीर में रोगों से लड़ने वाली विशिष्ट कोशिकाओं (न्यूट्रोफिल्स) की सक्रियता कम हो जाती है.

सामान्य उपचार

  • डेढ़ कप पानी लेकर उसमें हल्दी पाउडर (एक चम्मच), कालीमिर्च (तीन दाने), तुलसी के पत्ते (दो), थोड़ा जीरा, अदरक, थोड़ी चीनी को उबाल लें. एक कप रह जाने पर उसमें आधा नींबू निचोड़ दें. इसे गुनगुना ही सेवन करें. इसे दिन में 2-3 बार लिया जा सकता है.
  • नाक में दोनों तरफ तिल तेल की 2-2 बूंदें दिन में 3 बार डालें.
  • रोजाना 2 से 3 तुलसी पत्र का सेवन करें.
  • गिलोय का काढ़ा या ताजा गिलोय का रस 20 मिली प्रतिदिन पीयें.
  • उपयुक्त मात्रा वयस्कों के लिए है, बालकों की उम्र के अनुसार मात्रा कम करें.
  • स्वाइन फ्लू जैसे बुखार गले में खराब, सर्दी-जुकाम, खांसी व कंपकंपी आना, इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लें.
  • कपूर, इलायची, लौंग मिश्रण (पाउडर) को रूमाल में बांधकर रख लें व सूंघते रहें. संक्रमण का खतरा कम होता है.
  • अमृतधारा की 1-2 बूंदें रूमाल अथवा रूई पर लगाकर बार-बार सूंघते रहने से भी स्वाइन फ्लू से बचाव होता है.