pneumonia day: निमोनिया से ऐसे बचाएं अपने लाडलों को, नहीं छिनेगी उनकी मुस्कान
कुछ समय पहले तक निमोनिया जानलेवा बीमारी समझी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. हालांकि, अभी भी अगर यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर ले, तो जानलेवा हो सकती है, लेकिन अब इस तरह के मामले काफी कम हो गए हैं.
नई दिल्ली:
कुछ समय पहले तक निमोनिया जानलेवा बीमारी समझी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. हालांकि, अभी भी अगर यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर ले, तो जानलेवा हो सकती है, लेकिन अब इस तरह के मामले काफी कम हो गए हैं. निमोनिया आमतौर पर बच्चों और बड़ी उम्र के लोगों को अधिक परेशान करता है. लेकिन, यह किसी भी आयु और लिंग के व्यक्ति को हो सकता है. समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों को न्यूमोनिया होने का खतरा ज्यादा रहता है.जिन बच्चों को टीबी का इन्फेक्शन होता है, उन्हें भी न्यूमोनिया होने की आशंका अधिक होती है.
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निमोनिया फेफड़ों को होने वाला संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस, फंगस अथवा पैरासाइट्स के कारण होता है. इसकी सबसे अहम पहचान है, फेफड़ों की वायुकोष्िठका में सूजन हो जाती है अथवा उसमें तरल पदार्थ भर जाता है. कई बार निमोनिया गंभीर रूप धारण कर लेता है. इसी परिस्थिति में व्यक्ति की हालत बहुत खराब हो जाती है और उसकी जान भी जा सकती है.
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हालांकि, यह बीमारी जवान एवं स्वस्थ लोगों को भी हो सकती है, लेकिन बुजुर्गों, बच्चों, ऐसे लोग जो पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं अथवा जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हैं, के लिए यह बीमारी काफी खतरनाक हो सकती है.
कैसे होता है निमोनिया
वायरस और बैक्टीरिया दोनों निमोनिया के प्रमुख कारक होते हैं. यह बीमारी तब होती है जब जब किसी व्यक्ति की सांस के साथ निमोनिया ग्रस्त कीटाणु उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उन कीटाणुओं से लड़ नहीं पाती. तब ये कीटाणु फेफड़े की वायुकोष्ठिका में बैठकर अपनी संख्या बढ़ाने में जुट जाते हैं. जब शरीर इस संक्रमण से लड़ने के लिए श्वेत रक्त कोशिकाओं को भेजता है, तो वायुकोष्ठिकाएं तरल पदार्थों और पस से भर जाती हैं, जिसके कारण निमोनिया होता है.
निमोनिया बैक्टीरिया, वायरल, फंगल और कई अन्य कारणों से होता है.
बैक्टीरिया
स्ट्रेपऑक्स निमोनिया, बैक्टीरियल निमोनिया का सबसे सामान्य प्रकार है. वे लोग जो क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (सीओपीडी) अथवा शराब की लत से परेशान होते हैं उन्हें यह निमोनिया होने का खतरा काफी अधिक होता है. ऐसे लोग क्लेबसिला निमोनिया और हेमोफिलस निमोनिया के शिकार अधिक होते हैं. एटीपिकल निमोनिया, निमोनिया का ऐसा प्रकार है, जो आमतौर पर गर्मियों के मौसम में अधिक देखने को मिलता है. यह भी बैक्टीरिया के कारण ही होता है.
वायरल
वायरल निमोनिया वे निमोनिया होते हैं, जो आमतौर पर एंटी-बायोटिक ट्रीटमेंट के प्रति असंवदेनशील होते हैं. एडेनावायरस, रिहनोवायरस, इनफ्लूंजा वायरस, रेपिरेटरी सिनेसाइयटिकल वायरस और पारेनफ्लूएंजा वायरस, वायरल निमोनिया होने के संभावित कारण हैं.
फंगल
हिस्टोप्लास्मोसिस, कोसिडायोमाइकोसिस, ब्लास्टोमाइकोसिस, एस्पेरगिलोसिस और क्राइपटोकोसकोसिस, ऐसे फंगल इंफेक्शन हैं, जो आपको निमोनिया दे सकते हैं. अमेरिका में इस प्रकार के निमोनिया आमतौर पर देखने को नहीं मिल रहे.
बच्चों में निमोनिया के लक्षण
- बच्चों में बुखार, ठंडक महसूस होना, कंपकपाहट और खांसी न्यूमोनिया के लक्षण हैं.
- तेजी से सांस लेना और घरघराहट सुनाई देना.
- उलटी, सीने या पेट के निचले हिस्से में दर्द.
- बच्चों को दूध पीने में परेशानी होना.
- बच्चे के होंठों और नाखूनों का रंग नीला पड़ जाना.
इन बातों का रखें ध्यान, आपके बच्चे का निमोनिया नहीं छीनेगा मुस्कान
- समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों का विस्तृत चेकअप जरूर करवाना चाहिए.
- बच्चों में होने वाले बुखार व सर्दी जुकाम को हल्के में ना लें तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. बच्चों को ज्यादा समय तक गीले में ना रहने दें और ठंडी चीजें खाने को नहीं दें.
- न्यूमोनिया से संक्रमण से बचाने के लिए अपने बच्चे को इसकी वैक्सीन जरुर लगाएं. इससे आपके बच्चे का न्यूमोनिया की संभावना कम हो जाती है.
- अगर आपके बच्चे को ऐसी समस्या हो, तो आप प्रतिदिन सुबह और शाम उसके शरीर के तापमान की जांच करें.
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