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Bhai Dooj 2018: भाई को ऐसे लगाएं उसकी लंबी उम्र का टीका, दूर होंगे सभी कष्ट

भारत को त्‍योहारों का देश माना जाता है. दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और इसके बाद पड़ने वाला भैया दूज का खास महत्व है. राखी भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. भैया दूज भाई की लंबी उम्र की कामना का दिन. इस दिन बहनें अपनी भाइयों के रोली और अक्षत से तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं. आइए जानें कि किस मुहुर्त में भाई को कैसा लगाएं टीका कि उसके जीवन में खुशियां भर जाए..

Updated on: 08 Nov 2018, 03:53 PM

नई दिल्ली:

भारत को त्‍योहारों का देश माना जाता है. दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और इसके बाद पड़ने वाला भैया दूज का खास महत्व है. राखी भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. भैया दूज भाई की लंबी उम्र की कामना का दिन.  इस दिन बहनें अपनी भाइयों के रोली और अक्षत से तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं. आइए जानें कि किस मुहुर्त में भाई को कैसे लगाएं टीका कि उसके जीवन में खुशियां भर जाए..

पूजन विधिः इस दिन बहनें सबसे पहले आटे का चौक तैयार करें. चौक पर भाई को बैठाएं. भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं, जिसके बाद इसमें सिंदूर लगाकर पान, सुपारी, कद्दु के फूल हाथों पर रखकर उस पर पानी छोड़ें. कई जगहों पर बहने इस अवसर पर भाइयों की आरती भी उतारती हैं और हाथों में कलावा बांधती हैं. मुंह मीठा करने के लिए मिश्री खिलाएं. इसके बाद संध्या में यमराज के नाम से चौमुखा दीप जलाकर बहनें घर के बाहर उसका मुख दक्षिण दिशा की तरफ रख दें.

टीका मुहूर्त ःभैया दूज पर इस वर्ष टीका लगाने का शुभ मुहूर्त 13 बजकर 09 मिनट से लेकर 15 बजकर 17 मिनट तक है , यानि दो घंटे और 8 मिनट की अवधि में यदि बहनें अपने भाई को तिलक लगाएं तो अत्यंत शुभ होगा।

भाई दूज की पौराणिक कथा

भाई दूज को लेकर एक लेकर एक पौराणिक मान्यता भी है. कहते हैं यह वही तिथि है जब यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए जाते हैं और उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए पूरा देश इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाता है.इस दिन यम देवता के पूजन का खास महत्व है.इस दिन यमुना, चित्रगुप्‍त और यमदूतों की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.कथा के अनुसार सूर्य की संज्ञा नामक पत्नी से दो संतानें थी.पुत्र यमराज और पुत्री यमुना, संज्ञा सूर्य का तेज सहन नहीं कर पाईं, जिसके चलते उन्होंने अपनी छाया का निर्माण कर अपने पुत्र -पुत्री को उसे सौंपकर वहां से चली गई.

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छाया को यम और यमुना से कोई लगाव नहीं था, लेकिन भाई और बहन में बहुत प्रेम था. यमुना अपने भाई यमराज से उसके घर आने का निवेदन करती थी, लेकिन यमराज यमुना की बात को टाल जाते थे. एक बर कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने पहुंचे. यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को देखकर बेहद खुश हो गई.यमुना ने अपने भाई का स्वागत-सत्कार कर उन्हें भोजन करवाया.बहन के आदर सत्कार से खुश होकर यमदेव ने यमुना से कुछ मांगने को कहा तभी यमुना ने उनसे हर साल इस तिथि के दिन उनके घर आने का वरदान मांगा.ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन बहन से तिलक करवाता है उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता.

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इस दिन को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है.वैसे तो देश भर की पवित्र नदियों में इस दिन भाई बहन स्नान के लिए पहुंचते हैं.लेकिन मथुरा वृन्दावन में यमुना स्नान का विशेष महत्व बताया जाता है.इस दिन भारी संख्या में लोग मथुरा पहुंचते है और अपने भाई बहन बहन की लंबी आयु के लिए देवी यमुना से प्रार्थना करते हैं.मान्यता है कि जो भाई बहन इस दिन यमुना में स्नान करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं स्वयं यमदेव पूरी करते हैं.