होम्योपैथी की दवा खाने से पहले जरूरी है इन बातों का ध्यान रखना
दरअसल डॉक्टर की सलाह के बावजूद हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं कि दवा का असर नहीं हो पाता. तो ये है होम्योपैथी दवाओं को लेने का सही तरीका.
नई दिल्ली:
कई असाध्य रोगों में होम्योपैथिक दवाएं एक तरीके से वरदान मानी जाती हैं. इन मीठी गोलियों का जादू ऐसा है कि ये कई खतरनाक बीमारियों से हमेशा के लिए निजात दिला देती हैं. हाल में ही आईं एक रिपोर्ट के अनुसार किडनी और थायरायड रोग से निजात दिलाने के लिए सबसे अच्छा तरीका हौम्योपैथिक दवाएं हैं. बावजूद इसके कई अच्छे डॉक्टर भी हैरान रह जाते हैं कि उनकी दवा मरीज पर असर क्यों नहीं कर रही हैं. दरअसल डॉक्टर की सलाह के बावजूद हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं कि दवा का असर नहीं हो पाता. तो ये है होम्योपैथी दवाओं को लेने का सही तरीका.
यह भी पढ़ेंः अगर आप पीते हैं कॉफी तो आज ही कर दें बंद, हो सकतीं हैं ये खतरनाक बीमारियां
डॉ पुनीत सरपाल के अनुसार जब भी हम दवा लें तो हमारा मुंह साफ हो, किसी भी प्रकार का खाद्य पदार्थ मुंह में न हो. कुछ भी खाने के 5 मिनट बाद ही दवा लें. ध्यान रखें कि यदि गंध वाली चीज जैसे इलायची, लहसुन, प्याज या पिपरमिंट खाई है तो 30 मिनट के बाद ही दवा लें. इस दौरान कॉफी न पीएं. ये दवा के असर को खत्म करती है.
यह भी पढ़ेंः माइग्रेन से हैं परेशान, आज ही इन घरेलू नुस्खों से करें उपचार
इसे निगलने व चबाने की बजाय चूसकर ही खाएं क्योंकि दवा का असर जीभ के जरिये होता है. दवा खाने के 5-10 मिनट बाद तक कुछ न खाएं. होम्योपैथी दवाओं का असर इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज का रोग एक्यूट है या क्रॉनिक. एक्यूट रोगों में यह 5 से 30 मिनट और क्रॉनिक बीमारियों में यह 5 से 7 दिन में असर दिखाती है.
जो काम 2 गोली करती है वही चार गोलियां करेंगी. इसलिए ज्यादा या कम दवा लेने से कोई फर्क नहीं पड़ता. दवा की एक डोज भी काफी होती है.
होम्योपैथी दवाएं मीठी क्यों होती हैं
इस बारे में डॉ सरपाल बताते हैं कि होम्योपैथिक औषधियां अल्कोहल में तैयार की जाती हैं जो काफी कड़वा होता है. कुछ अल्कोहल काफी कड़वे होते हैं जिससे मुंह में छाले पड़ने की आशंका रहती है. इसलिए इसे सफेद मीठी गोलियों में डालकर देते हैं. दवा के हाथ में आते ही उसमें मौजूद अल्कोहल वाष्पीकृत होने के कारण असर कम हो जाता है. इसलिए दवा को ढक्कन या कागज पर रखकर खाने को कहा जाता है.
दवा की पोटेंसी
अक्सर होम्योपैथी दवाओं को देते समय डॉक्टर पोटेंसी की बात करते हैं. पोटेंसी दवा को रोग के अनुसार प्रभावी बनाने का काम करती है. जरूरत से ज्यादा पोटेंसी तकलीफ बढ़ा सकती है और जरूरत से कम इलाज के समय को लंबा करती है. यह रोग की गंभीरता, समयावधि, तीव्रता, लक्षण, उम्र और स्वभाव के आधार पर तय की जाती है. होम्योपैथी चिकित्सा में पोटेंसी का मतलब ‘पावर ऑफ मेडिसिन’ होता है. यह दवा की गुणवत्ता को तय कर असर करती है.
यह भी पढ़ेंः किडनी में स्टोन से हैं परेशान तो अपनाएं ये घरेलु नुस्खे
ये दो तरह की होती हैं लोअर पोटेंसी और हायर पोटेंसी. लोअर पोटेंसी एक्यूट डिजीज जैसे सर्दी-जुकाम में दी जाती है. इसके अलावा एलर्जिक डिजीज जैसे अस्थमा, एक्जिमा जिसमें लक्षण स्पष्ट नहीं होते, ऐसी स्थिति में भी लोअर पोटेंसी दी जाती है. हायर का स्तर छह से लेकर एक लाख पोटेंसी तक होता है. इसमें यदि मरीज का स्वभाव बीमारी के साथ बदल रहा हो तो उचित पोटेंसी का चयन करते हैं. लोअर पोटेंसी हफ्ते में 4-6 बार और हायर पोटेंसी हफ्ते या 15 दिन में एक बार देते हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Daughter : निसा के बर्थडे से पहले इमोशनल हुईं काजोल, बेटी के लिए बयां किया प्यार
-
Lok Sabha Elections 2024: रजनीकांथ से लेकर कमल हासन तक वोट देने पहुंचे ये सितारे, जागरूक नागरिक होने का निभाया फर्ज
-
टीवी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी का हुआ एक्सीडेंट, होगी सीरीयस सर्जरी, काम छोड़कर हॉस्पिटल पहुंचे पति
धर्म-कर्म
-
Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी के दिन इस पेड़ की पूजा करने से हर मनोकामना होती है पूरी
-
Aaj Ka Panchang 19 April 2024: क्या है 19 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Sanatan Dharma: सनातन धर्म में क्या हैं दूसरी शादी के नियम, जानें इजाजत है या नहीं
-
Hanuman Jayanti 2024 Date: हनुमान जयंती पर बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, जानें किन राशियो की होगी आर्थिक उन्नति