गुरुदत्त के 100 साल : मेलबर्न में मनाया जाएगा भारतीय सिनेमा के लीजेंड की विरासत का जश्न!

गुरुदत्त के 100 साल : मेलबर्न में मनाया जाएगा भारतीय सिनेमा के लीजेंड की विरासत का जश्न!

गुरुदत्त के 100 साल : मेलबर्न में मनाया जाएगा भारतीय सिनेमा के लीजेंड की विरासत का जश्न!

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IANS
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Guru Dutt’s legacy to be celebrated at IFFM with ‘Pyaasa’, ‘Kaagaz Ke Phool’ screenings

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 9 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा के महानतम फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं में से एक, गुरु दत्त के 100 साल पूरे होने का जश्न इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न 2025 में मनाया जाएगा। इस अवसर पर उनकी 1957 की फिल्म प्यासा और 1959 में रिलीज हुई कागज के फूल की विशेष स्क्रीनिंग के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी।

प्यासा फिल्म में गुरु दत्त, माला सिन्हा, वहीदा रहमान, रहमान और जॉनी वॉकर मुख्य भूमिकाओं में थे। इस ड्रामा फिल्म का निर्देशन गुरु दत्त ने किया था। यह फिल्म कलकत्ता पर आधारित थी और फिल्म विजय नाम के एक ऐसे उर्दू कवि की कहानी थी, जिसकी रचनाओं को प्रकाशक कम आंकते हैं और रोमांटिक विषयों के बजाय सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उसकी आलोचना की जाती है।

कहानी में विजय की मुलाकात सेक्स-वर्कर गुलाबो और उसकी पूर्व प्रेमिका मीना से होती है। गुलाबो उसकी कविताओं को प्रकाशित कराने में मदद करती है, जिससे उसकी रचनाओं को सफलता मिलती है और जिसके बाद दोनों के बीच एक प्रेम संबंध विकसित होता है।

गुरु दत्त की 1959 की रोमांटिक ड्रामा कागज के फूल सिनेमास्कोप में बनी पहली भारतीय फिल्म और उनके द्वारा निर्देशित आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा में एक तकनीकी क्रांति ला दी थी और इसे व्यापक रूप से अपने समय से बहुत आगे माना जाता है। यह फिल्म कई फिल्म स्कूलों के पाठ्यक्रमों का हिस्सा है और इसे भारत में बनी अब तक की सबसे बेहतरीन आत्म-संदर्भित फिल्म माना जाता है।

निर्देशक मितु भौमिक लांगे ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अपने विचार साझा किए, गुरु दत्त अपने समय से बहुत आगे थे, चाहे वह फिल्म बनाने की तकनीक हो या उनकी कहानियों की भावनात्मक गहराई। उनकी फिल्में जैसे प्यासा और कागज के फूल सिर्फ क्लासिक्स नहीं हैं, बल्कि भारतीय सिनेमा की आत्मा को छूने वाले सांस्कृतिक खजाने हैं। आईएफएफएम में, हमारा मानना ​​है कि उन लोगों का सम्मान करना जरूरी है जिन्होंने हमारी सिनेमाई विरासत को बनाया। यह श्रद्धांजलि उनकी प्रतिभा को याद करने और उनके कालातीत काम को नए वैश्विक दर्शकों से परिचित कराने का हमारा विनम्र तरीका है।

यह महोत्सव 14 अगस्त से शुरू होगा और 24 अगस्त को इसका समापन होगा।

--आईएएनएस

एनएस/एएस

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