गुजरात : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल समरस ग्राम पंचायतों को 35 करोड़ से ज्यादा का अनुदान करेंगे वितरित

गुजरात : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल समरस ग्राम पंचायतों को 35 करोड़ से ज्यादा का अनुदान करेंगे वितरित

गुजरात : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल समरस ग्राम पंचायतों को 35 करोड़ से ज्यादा का अनुदान करेंगे वितरित

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IANS
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गुजरात: सीएम भूपेंद्र पटेल समरस ग्राम पंचायतों को 35 करोड़ से ज्यादा का अनुदान करेंगे वितरित

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

गांधीनगर, 3 जुलाई (आईएएनएस)। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल राजधानी गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों के लिए आयोजित अभिनंदन समारोह में शुक्रवार को राज्य के 761 समरस ग्राम पंचायतों को 35 करोड़ रुपए से अधिक का अनुदान वितरित करेंगे।

इस कार्यक्रम में 4,876 नवनिर्वाचित सरपंचों के साथ-साथ 56 महिला समरस पंचायतों की 600 सदस्य भाग लेंगी। गुजरात में समरस ग्राम पंचायतें उन ग्राम पंचायतों को कहा जाता है, जहां सरपंच और सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचन होता है, जिससे सर्वसम्मति आधारित नेतृत्व को बढ़ावा मिलता है और चुनाव नहीं होता है।

गुजरात सरकार ऐसे गांवों को वित्तीय प्रोत्साहन और अनुदान देकर समरस पंचायतों के गठन को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करती है। इस आयोजन के तहत पंचायत उन्नति सूचकांक के तहत शीर्ष प्रदर्शन करने वाली पंचायतों को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की ओर से प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।

ग्रामीण शासन एवं विकास को और मजबूत करने के लिए विभिन्न योजनाओं एवं प्रोत्साहन अनुदानों के अंतर्गत कुल 1,236 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। भावनगर सबसे ज्यादा समरस ग्राम पंचायतों (103) के साथ सूची में सबसे ऊपर है, जबकि मेहसाणा में सबसे ज्यादा नौ महिला समरस पंचायतें हैं।

समरस कार्यान्वयन के मामले में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले अन्य जिलों में मेहसाणा (90), पाटन (70), बनासकांठा (59), और जामनगर (59) शामिल हैं। महिला नेतृत्व वाली समरस पंचायतों के मामले में पाटन (सात), भावनगर (छह), बनासकांठा (छह), और वडोदरा (चार) का स्थान है।

समरस ग्राम पंचायतें गुजरात में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सर्वसम्मति के माध्यम से निर्विरोध चुनावों को बढ़ावा देकर वे गांवों के भीतर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, चुनाव संबंधी खर्चों और सामाजिक विभाजन को कम करने में मदद करते हैं।

--आईएएनएस

एकेएस/एकेजे

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